बहुत नर्म होती है सेंव
ऐसा बताया जाता है कि दाल-सेंव बनने के बाद इतनी नर्म होती है, जिसे वे बुजुर्ग भी खा सकते हैं जिनके दांत न हों। चने से बनने वाली दाल-सेंव के लिए खड़े मसालों को पीसकर बेहतरीन स्वाद लाया जाता है। राजेंद्र प्रसाद शर्मा बताते हैं कि उनकी पहचान यही है, जिससे वे समझौता नहीं करते। बेसन की दाल को चक्की पर खड़े रहकर पिसवाते हैं ताकि उसमें किसी तरह की मिलावट न की जा सके। इस ठेले को सबसे पहले मथुरा से शहर में आए प्रसादी लाल शर्मा ने शुरू किया था। उनके जाने के बाद बेटे राजेंद्र प्रसाद शर्मा और अब विकास शर्मा ठेला संभालते हैं। विकास पढ़े लिखे हैं, अकाउंटेंट हैं। पिता की गैरमौजूदगी में ठेला बंद नहीं करते, वे खुद ही इसे संभालते हैं।
ऐसा बताया जाता है कि दाल-सेंव बनने के बाद इतनी नर्म होती है, जिसे वे बुजुर्ग भी खा सकते हैं जिनके दांत न हों। चने से बनने वाली दाल-सेंव के लिए खड़े मसालों को पीसकर बेहतरीन स्वाद लाया जाता है। राजेंद्र प्रसाद शर्मा बताते हैं कि उनकी पहचान यही है, जिससे वे समझौता नहीं करते। बेसन की दाल को चक्की पर खड़े रहकर पिसवाते हैं ताकि उसमें किसी तरह की मिलावट न की जा सके। इस ठेले को सबसे पहले मथुरा से शहर में आए प्रसादी लाल शर्मा ने शुरू किया था। उनके जाने के बाद बेटे राजेंद्र प्रसाद शर्मा और अब विकास शर्मा ठेला संभालते हैं। विकास पढ़े लिखे हैं, अकाउंटेंट हैं। पिता की गैरमौजूदगी में ठेला बंद नहीं करते, वे खुद ही इसे संभालते हैं।
ऑर्डर पर ले जाते हैं लोग
विकास बताते हैं कि दुकान काफी पुरानी होने से अब उनके ग्राहक सिर्फ शहर ही नहीं, बल्कि प्रदेश और प्रदेश के बाहर भी हैं। कई लोग एक दिन पहले ही ऑर्डर देकर दाल-सेंव पैक करवा कर ले जाते हैं। सफेद पोहे की भी अपनी विशेषता है। सभी आइटम इतने नर्म होते हैं कि ६ माह का बच्चा और बुजुर्ग सभी इसे खा सकते हैं।
विकास बताते हैं कि दुकान काफी पुरानी होने से अब उनके ग्राहक सिर्फ शहर ही नहीं, बल्कि प्रदेश और प्रदेश के बाहर भी हैं। कई लोग एक दिन पहले ही ऑर्डर देकर दाल-सेंव पैक करवा कर ले जाते हैं। सफेद पोहे की भी अपनी विशेषता है। सभी आइटम इतने नर्म होते हैं कि ६ माह का बच्चा और बुजुर्ग सभी इसे खा सकते हैं।
80 साल से वही स्वाद, उसी की मांग
यहां मिलने वाली दाल-सेंव की अपनी खासियत है। दूसरी नमकीन दुकानों और ठेलों पर दाल और सेंव अलग लेना पड़ती है, लेकिन यहां दाल और सेंव मिक्स मिलती है, जिसकी सबसे अधिक मांग होती है। यह ठेला राजबाड़ा पर गणेश कैप मार्ट के सामने लगता है। पिछले 80 सालों से यह ठेला लग रहा है। वर्तमान में तीसरी पीढ़ी इस ठेले को लगा रही है। यहां दाल-सेंव’ सादे पोहे और फीकी दाल सेंव मिलती है।
यहां मिलने वाली दाल-सेंव की अपनी खासियत है। दूसरी नमकीन दुकानों और ठेलों पर दाल और सेंव अलग लेना पड़ती है, लेकिन यहां दाल और सेंव मिक्स मिलती है, जिसकी सबसे अधिक मांग होती है। यह ठेला राजबाड़ा पर गणेश कैप मार्ट के सामने लगता है। पिछले 80 सालों से यह ठेला लग रहा है। वर्तमान में तीसरी पीढ़ी इस ठेले को लगा रही है। यहां दाल-सेंव’ सादे पोहे और फीकी दाल सेंव मिलती है।