VIDEO : सीएम कमल नाथ ने किया संजीवनी क्लिनिक का उद्घाटन, शहर में होंगे 28 केन्द्र
इंदौर. मोहल्ला क्लिनिक की तर्ज पर अब शहर में संजीवनी क्लिनिक होंगे। इसकी शुरुआत निपानिया से हो रही है। शनिवार को मुख्यमंत्री कमल नाथ ने शाम करीब साढ़े बजे क्लिनिक का उद्घाटन किया। अधिकारियों ने सभी तैयारियां पहले से ही कर ली थी। पहले चरण में 28 क्लिनिक शहर में खोले जाना हैं, जिसमें से निपानिया, नायता मुंडला और निहालपुर मुंडी के तीन केंद्रों पर डॉक्टरों की नियुक्ति भी हो गई हैं।
उधर, स्वास्थ्य विभाग द्वारा यहां काम करने वाले डॉक्टरों को 25 हजार रुपए प्रतिमाह फिक्स वेतन दिया जाएगा। सुबह 10 से शाम 6 बजे तक संजीवनी केंद्र खुले रहेंगे। प्रतिमाह 25 हजार रुपए वेतन मिलने में 25 मरीज तक डॉक्टर देंखेंगे। इसके बाद प्रति मरीज बढऩे पर 40 रुपए के हिसाब से भुगतान किया जाएगा, लेकिन इसमें भी एक माह में अधिकतम 75 हजार रुपए ही दिए जाएंगे। वहीं स्टॉफ नर्स, लेब टेक्नीशियन की नियुक्ति अभी जिला अस्पताल से की जाना है। जल्द ही इंटरव्यू के माध्यम से स्टाफ नर्स को 20 हजार रुपए प्रतिमाह और लैब टेक्नीशियन को 15 हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाएंगे। फार्मासिस्ट को 15 हजार रुपए प्रतिमाह और मल्टी टास्क वर्कर को 10 हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाएंगे।
गौरतलब है कि इन दिनों शहर में जो अन्य शासकीय संस्थाएं चल रही हैं, उनमें स्वास्थ्य विभाग के सिविल अस्पताल और जिला अस्पताल की ओपीडी का समय सुबह 9 से 4 बजे तक है। जो शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, उनका समय सुबह 12 से शाम 8 बजे तक है, वहीं अब संजीवनी क्लिनिक का समय सुबह 10 से शाम 6 बजे तक रखा है।
रखनी होगी नजर, निजी अस्पताल न ले जाएं उधर, संजीवनी क्लिनिक को सुचारू रूप से चलाने के लिए विभाग के सामने डॉक्टरों को दिया जाने वाला कम वेतन चुनौती के रूप में रहेगा। हाल ही में कुछ डॉक्टरों ने विभाग को यहां काम करने के लिए रुचि दिखाई, लेकिन जब वेतन का स्लैब देखा तो मना कर गए। कारण था कि निजी अस्पतालों में एमबीबीएस डॉक्टरों को डेढ़ लाख रुपए प्रतिमाह तक मिलता है। पूर्व में शहर में संचालित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी पिछले दो साल में सुचारू रूप से संचालित नहीं हो पाए, जिसके पीछे बड़ा कारण है डॉक्टरों को वेतन उचित नहीं लगा। उधर विभाग के सामने एक और परेशानी है कि इंदौर में अब तक स्वास्थ्य विभाग के किसी भी अस्पताल में पुरुषों को भर्ती करने की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में अधिकारियों को यह नजर रखना होगी कि संजीवनी क्लिनिकों पर पदस्थ डॉक्टर यहां आने वाले मरीजों को निजी अस्पतालों में भर्ती न कराएं।