भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष बबलू जाधव ने कहा कि वचन पत्र में किसानों का दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ किए जाने की बात कही गई थी। अब कांग्रेस अपने वादे से मुकर गई है और सिर्फ फसल कर्ज माफी की बात करने लगी है। मालूम हो कि, राज्य सरकार ने किसान कर्जमाफी के लिए तीन अलग-अलग रंग के आवेदन किसानों से मांगे थे किसानों ने पंचायतों में अपने आवेदन जमा किए थे। उसी के आधार पर सरकार ने दावा किया था कि राज्य में 55 लाख किसानों पर कर्ज है। इनमें से 21 लाख किसानों का दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ किया जा चुका हैं। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण प्रक्रिया रुक गई और चुनाव होते ही कर्ज माफ किया जाएगा, लेकिन किसी वादे को पूरा नहीं किया गया। सारे वादे झूठे प्रतीत होते हैं
कौन है फर्म का मालिक
किसानों का कहना है कि मंडी प्रशासन यह कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि गेहूं की बिक्री मंडी के बाहर की थी। लेकिन हकीकत यह है कि हरिनारायण खंडेलवाल की फर्म राधे श्याम ट्रेडिंग कंपनी ने खरीदी मंडी अधिकारियों के कहने पर की थी। सवाल यह उठ रहा है कि राधे श्याम ट्रेडिंग कंपनी का वास्तविक मालिक कौन है। दस्तावेजों के अनुसार कंपनी का संचालक चंद्रशेखर को बताया जा रहा है, जबकि चेक हरिनारायण खंडेलवाल ने जारी किए थे। पता चला कि चंद्रशेखर, हरिनारायण खंडेलवाल के नौकरानी का बेटा है, जिसे स्वयं चंद्रशेखर ने कबूल किया कि उसका खंडेलवाल से किसी प्रकार से कोई लेन-देन नहीं है और उसे किसी विषय में जानकारी नहीं है। साफ है कि हरिनारायण खंडेलवाल ने फर्जी फर्म का निर्माण कर चंद्रशेखर के नाम से कारोबार किया। खंडेलवाललंबे समय से जालसाजी का यह षड्यंत्र कर रहा था और इसमें मंडी सचिव एवं अन्य कर्मचारी भी शामिल थे।
किसानों का कहना है कि मंडी प्रशासन यह कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि गेहूं की बिक्री मंडी के बाहर की थी। लेकिन हकीकत यह है कि हरिनारायण खंडेलवाल की फर्म राधे श्याम ट्रेडिंग कंपनी ने खरीदी मंडी अधिकारियों के कहने पर की थी। सवाल यह उठ रहा है कि राधे श्याम ट्रेडिंग कंपनी का वास्तविक मालिक कौन है। दस्तावेजों के अनुसार कंपनी का संचालक चंद्रशेखर को बताया जा रहा है, जबकि चेक हरिनारायण खंडेलवाल ने जारी किए थे। पता चला कि चंद्रशेखर, हरिनारायण खंडेलवाल के नौकरानी का बेटा है, जिसे स्वयं चंद्रशेखर ने कबूल किया कि उसका खंडेलवाल से किसी प्रकार से कोई लेन-देन नहीं है और उसे किसी विषय में जानकारी नहीं है। साफ है कि हरिनारायण खंडेलवाल ने फर्जी फर्म का निर्माण कर चंद्रशेखर के नाम से कारोबार किया। खंडेलवाललंबे समय से जालसाजी का यह षड्यंत्र कर रहा था और इसमें मंडी सचिव एवं अन्य कर्मचारी भी शामिल थे।