अस्पताल से निकलने के बाद सीएम ने मीडिया से कहा, बेटी के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हुआ है। वह परिवार के साथ दोबारा घुल-मिल गई है। उसे जो अच्छा लगता है उसकी मांग भी करती है। मैं इलाज से पूरी तरह संतुष्ट हूं। वह माता-पिता के साथ मेरी और मप्र की भी बेटी है। जिन्होंने दरिंदगी कर मानवता को शर्मसार किया है, जल्द फांसी के फंदे पर पहुंचे पुलिस प्रशासन इसकी व्यवस्था करेगा। बालिका को देवी का रूप माना गया है। वह पूजनीय है। उसके चरण धोकर माथे पर चढ़ाया जाता है। मगर समाज में कुछ लोग मानवता को शर्मशार कर रहे हैं। राज्य शासन बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा के लिये कृत-संकल्पित हैं। लोअर कोर्ट के साथ हाइ कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी फास्ट ट्रैक सुनवाई हो इसके लिए चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है। सीएम ने कहा, एक और बेटी को सतना से दिल्ली एम्स भेजा है। समाज को बच्चों को संस्कार देना जरूरी है। बेटी के मान-सम्मान के पाठ पाठयक्रम में शामिल करेंगे। बेटी बचाओ अभियान में नए आयाम जोड़ेंगे। दुष्कर्म पीडि़त बालिका के स्वास्थ्य, शिक्षा आदि का खर्च राज्य शासन द्वारा वहन किया जाएगा। उधर, एमवाय अधीक्षक डॉ. वीएस पाल ने बताया, बच्ची में नए कॉम्प्लीकेशंस नहीं देखे गए हैं। बच्ची की पसंद के अनुसार कचौरी और रबड़ी भी खिलाई गई।
जूनियर डॉक्टरों को किया कैद, सीएम मिलने पहुंचे स्टायपंड बढ़ाने की मांग को लेकर जूनियर डॉक्टर्स सीएम को ज्ञापन देने मेन गेट पर जमा हो गए। अधीक्षक डॉ. वीएस पाल वहां पहुंचे और विद्यार्थियों को वहां से जाने को कहा। जूडा अध्यक्ष डॉ. कृपाशंकर ने जायज मांग की बात कही तो अधीक्षक बिफर पड़े और कहा, कॅरियर पर ध्यान दो नहीं तो नुकसान हो जाएगा। स्टूडेंट नहीं माने तो डॉ. पाल ने पुलिस को उन्हें हटाने को कहा। एएसपी वाहिनी सिंह ने स्टूडेंट्स को ओटी सेक्शन में चैनल गेट लगवाकर कैद करवा दिया। सीएम पहुंचे तो स्टूडेंट्स ने शोर मचाकर बंधक बनाने की बात कही। सीएम उनके पास पहुंचे और ज्ञापन लिया।