इंदौर स्टेशन पर छह प्लेटफॉर्म हैं। जिन पर प्रतिदिन 50 हजार से ज्यादा यात्री पहुंचते हैं। इन प्लेटफॉर्म पर प्याऊ भी है, लेकिन इनसे गर्म पानी मिलता है। गर्मी शुरू हो गई है, लेकिन स्टेशन पर अभी भी शीतल जल की सुविधा शुरू नहीं की गई है। स्टेशन पर ट्रेन आते ही यात्री वॉटर कूलर की ओर पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगती है। रेलवे ने वॉटर कूलर्स को सादे पानी की प्याऊ से एक नल के माध्यम से जोड़ रखा है और शीतल जल लिख रखा है। इनसे शीतल जल की बजायय गर्म पानी आ रहा है। ऐसी स्थिति में यात्रियों को बोतलबंद पानी खरीदना पड़ता है।
वैसे तो स्टेशन के छहों प्लेटफार्म पर 10 वॉटर कूलर लगे हैं, लेकिन सभी शो पीस बने हुए हैं। रेलवे हर साल गर्मी की शुरुआत में कूलर शुरू कर देता है, लेकिन इस बार अभी तक शुरू नहीं किए गए हैं। एक पखवाड़े से गर्मी तेज हो गई है और यात्रियों को ठंडा पानी की तलब लग रही है। प्लेटफॉर्म-4 पर तो वॉटर कूलर ऐसा रखा है, जैसे उसे मरम्मत की आवश्यकता है।
पहले रखी थी वॉटर वेंडिंग मशीन
दो साल पहले तक स्टेशन पर वॉटर वेंडिंग मशीनें लगाई गईं थीं, जहां पांच रुपए लीटर ठंडा पानी यात्रियों को मिल जाया करता था। टेंडर खत्म होने के बाद यह व्यवस्था फिर से शुरू नहीं हो पाई। ऐसे में यात्रियों को गरम पानी से ही प्यास बुझानी पड़ रही है।
15 की बजाय 20 रुपए में एक बोतल
वॉटर कूलर बंद व खराब होने से वेंडर यात्रियों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं और पानी की 15 रुपए वाली बोतल 20 रुपए में बेच रहे हैं। कुछ ट्रॉली वाले तो रेलवे द्वारा अधिकृत नीर पानी की बोतल की बजाय अन्य कंपनियों की बोतल चोरी-छिपे बेच रहे हैं। रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी कभी प्लेटफॉर्म पर जांच या चेकिंग नहीं करते हैं। यदि जांच करें तो यात्री इनसे ठगाने से बच सकते हैं।
गर्मी में 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती बिक्री
जानकारी के अनुसार सामान्य दिनों में इंदौर स्टेशन के सभी स्टेशनों पर 150 से अधिक पानी की बोतल की पेटियों की बिक्री होती है, लेकिन गर्मी में यह 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। जाहिर है कि वॉटर कूलर बंद होने से वेंडर को ही फायदा होगा। हालांकि अब रेलवे अधिकारी 1 अप्रैल से शुरू किए जाने का आश्वासन दे रहे हैं।