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कमजोर अंग्रेजी ने इस प्लेसमेंट सीजन में छिनी 9 हजार के हाथ से नौकरियां

locationइंदौरPublished: Jul 20, 2019 12:28:10 pm

एजुकेशन हब इंदौर से भी कई बार खाली हाथ लौट रही प्लेसमेंट के लिए आने वाली कंपनियां

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कमजोर अंग्रेजी ने इस प्लेसमेंट सीजन में छिनी 9 हजार के हाथ से नौकरियां

इंदौर. आईआईटी, आईआईएम और 300 से ज्यादा कॉलेज वाले इंदौर को एजुकेशन हब के रूप में पहचाना जा रहा है। इस कारण देशभर के विद्यार्थी यहां पढऩे आते हैं। लेकिन, पढऩे के बाद कई छात्र सिर्फ डिग्री ही लेकर लौट रहे हैं। 50 फीसदी से ज्यादा को अपनी काबिलियत के अनुसार नौकरी नहीं मिलती और जिन्हें मिलती है उन्हें भी पसंदीदा सेक्टर, पैकेज और प्रोफाइल से समझौता करना पड़ रहा है। इसके पीछे कमजोर अंग्रेजी और कम्युनिकेशन स्किल की कमी है। पिछले प्लेसमेंट सीजन में ही 9 हजार से ज्यादा छात्रों को पसंदीदा सेक्टर में नौकरी नहीं मिल सकी। अच्छे प्लेसमेंट के लिए आने वाली कंपनियों को भी कई बार निराश होकर खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।

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अच्छी पढ़ाई के बावजूद प्लेसमेंट में बढ़ोतरी नहीं होने के बावजूद इंग्लिश पर पकड़ बनाने के लिए सरकार या यूनिवर्सिटी कोई खास कदम नहीं उठा रही है। इंडिया स्किल रिपोर्ट के अनुसार देश में इंजीनियरिंग के 57.09 फीसदी, एमबीए के 36.44 फीसदी, एमसीए के 43.19 फीसदी, बीएससी के 47.37 फीसदी, बीकॉम के 30.06 फीसदी और आट्र्स में 29.3 फीसदी युवा नौकरी के काबिल हैं। बेंगलुरु, चेन्नई के बाद इंदौर तीसरे स्थान पर है। लेकिन, युवाओं की कमजोर कम्युनिकेशन स्किल के कारण काबिलियत के बावजूद अच्छी नौकरी नहीं मिल पा रही।

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शहर की देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में 2019 की बैच के लिए 120 कंपनियों ने कैंपस प्लेसमेंट किए। इसमें 3 हजार से ज्यादा छात्र शामिल हुए थे मगर नौकरी 1110 को ही मिल पाई। इन्हें 1.8 लाख रुपए से लेकर 19 लाख रुपए तक के पैकेज दिए गए। अफसोस की बात यह है कि जो कंपनियां आई थी उन्हें 2 हजार से ज्यादा युवाओं की जरूरत थी।

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आईईटी के प्लेसमेंट ऑफिसर डॉ. गोविंद माहेश्वरी का कहना है कि इंग्लिश और कम्युनिकेशन स्किल अच्छी नौकरी की राह में रोड़ा बनती आई है। फाइनल ईयर में यह कमी दूर करने के लिए संस्थान स्तर पर प्रयास किए जाते हैं। इसके बावजूद ज्यादा सुधार नहीं हो पाता। वे छात्र जिनकी अंग्रेजी और कम्युनिकेशन स्किल शुरुआत से मजबूत है वे कम काबिल होने पर भी अच्छी नौकरियां पा रहे हैं।

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30 फीसदी तक बढ़ सकता है आंकड़ा

इंग्लिश और कम्यूनिकेशन स्किल पर पकड़ हो तो प्लेसमेंट में 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है। प्लेसमेंट ऑफिसर अवनीश व्यास ने बताया, कंपनियां बड़ी उम्मीद लेकर इंदौर के कॉलेजों में आती है। एचआर के अधिकारी भी मानते हैं कि 70 फीसदी से ज्यादा बच्चों की क्वालिफिकेशन और काबिलियत में कोई कमी नहीं है। मगर ऐसे भी कई बच्चे इंटरव्यू क्लीयर नहीं कर पाते। ज्यादातर कंपनी अब ऑनलाइन इंटरव्यू लेने लगी है। इसमें उनकी काबिलियत दब जाती है।

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निजी कॉलेजों की स्थिति भी खराब

रेगुलर कोर्स करने वालों के प्लेसमेंट प्रोफेशनल कोर्स की तुलना में कम होते हैं। निजी कॉलेज भी प्लेसमेंट के नाम पर छात्रों को अच्छे पैकेज नहीं दिला सके। इंजीनियरिंग कॉलेजों में 150 कंपनियों ने कैंपस प्लेसमेंट किए। इनके जरिए 20 हजार को नौकरी मिल सकी है। ये कंपनियां 25 हजार से ज्यादा नौकरियां लाई थीं। मैनेजमेंट कोर्स के लिए 160 कंपनियां शहर के कॉलेजों में आई थी। उम्मीद थी 15 हजार से ज्यादा छात्र मिलेंगे पर 7 हजार को ही कंपनियां चुन पाई है।

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