इंदौर-देवास बायपास की बदहाली को लेकर प्राधिकरण ने मंगलवार को कोर्ट में 1200 पेज का जवाब प्रस्तुत किया. इसमें बायपास की बदहाली के लिए ठेकेदार कंपनी को पूरी तरह जिम्मेदार बताते हुए प्राधिकरण ने बताया कि ठेकेदार कंपनी इंदौर-देवास टोलवे लिमिटेड जरिए गायत्री प्रोजेक्ट लिमिटेड से राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को 321 करोड़ रुपये बकाया लेना है.

बायपास की बदहाली को लेकर संस्था मातृ फाउंडेशन की तरफ से जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि बायपास बीओटी प्रोजेक्ट के तहत हैदराबाद की कंपनी गायत्री प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को दिया गया था. शर्तों के मुताबिक यहां से गुजरनेवाले आम मुसाफिर के लिए कंपनी को स्ट्रीट लाइटें, लैंड स्केपिंग, सुविधाघर, चिकित्सकीय एड पोस्ट, बस बाय और बस खड़े रहने का स्थान सहित पौधारोपण, ट्रक ले बाय, ट्रैफिक ऐड पोस्ट आदि सुविधाएं उपलब्ध कराना थीं लेकिन ऐसा नहीं किया गया. बायपास गड्ढों से भरा है. जनहित याचिका में टोल टैक्स नहीं लिए जाने और कंपनी का ठेका निरस्त करने की भी मांग की गई.
याचिकाकर्ता की पैरवी कर रहे एडवोकेट ने बताया कि जवाब में प्राधिकरण ने स्पष्ट कहा है कि हम कंपनी को हटाने की कार्रवाई कर रहे हैं. जवाब में प्राधिकरण ने यह भी कहा है कि बायपास के आसपास कई निर्माण हुए जिनकी अनुमति जारी करने से पहले निगम ने प्राधिकरण को सूचित तक नहीं किया. नगर निगम खुद बार-बार सड़क खोद देता है. याचिका में नगर निगम को भी पक्षकार बनाया जाना चाहिए.