वर्ष 2008 में पेयजल, सडक़ और लोक परिवहन की कनेक्टिविटी जिले की बड़ी समस्या रही, जिसे दूर कर भाजपा ने मजबूती से वोट कन्वर्ट किए, लेकिन 2013 के बाद जरूरतें बदलीं और जनता ने नई अपेक्षाएं अपने जनप्रतिनिधियों के समक्ष रखीं। सुरक्षा, स्वास्थ्य, स्मार्ट डेवलपमेंट, शहरीकरण और सुलभ शिक्षा मुख्य मुद्दे बने। जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों में आज भी इन मुद्दों पर घोषणाओं और आश्वासनों के मुकाबले कम ही काम हुआ है। जनता की सघनता बढऩे के बावजूद खासकर महिला सुरक्षा आज भी सबसे बड़ी चुनौती है। अवैध कॉलोनियों के नियमितीकरण पर सरकार ने दो कदम जरूर बढ़ाए, लेकिन अब तक कोई खास परिणाम देखने को नहीं मिले हैं।
इंदौर जिले में 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को द्वारकापुरी बूथ (921), श्याम नगर (806), छोटा बांगड़दा (799), बरलाइ जागीर (800) और खजराना (965) में सर्वाधिक वोट मिले। वहीं कांग्रेस की स्थिति देखें तो ग्रीन पार्क (917), बैंक कॉलोनी (910), खजराना (886), खातीवाला टैंक (876) और सांवेर (683) में अधिकतम वोट मिले हैं। यहां 2008 में हुए चुनाव के मुकाबले स्थिति पूरी तरह बदली थी। इंदौर-4 स्थित इस द्वारकापुरी बूथ पर 2008 में भाजपा को मात्र 157 वोट मिले थे। इंदौर-2 के श्यामनगर में 361, इंदौर-5 के खजराना में 346, सांवेर के बरलाइ जागीर में 35 और देपालपुर के छोटा बांगड़दा में केवल 138 वोट ही मिले थे। कांग्रेस की स्थिति को देखें तो इंदौर-4 के खातीवाला टैंक में 137, खजराना में 169, ग्रीन पार्क और बैंक कॉलोनी में 346, 452 और सांवेर में 550 वोट मिले हैं। स्थिति साफ है, 2008 में जिन इलाकों में भाजपा पिछड़ी थी, वहां 2013 में बहुत ही मजबूत स्थिति बनाकर उभरी थी, वहीं कांगे्रस अपेक्षाकृत कुछ इलाकों को छोड़ दें तो बड़ा बदलाव नजर नहीं आता है। इन क्षेत्रों के मतदाता वर्गीकरण को देखें तो यह मिश्रित श्रेणी के हैं।
स्थायी हल से दूर ही रहे जनप्रतिनिधि इंदौर जिले की 9 विधानसभा में 8 में भाजपा और 1 पर कांग्रेस के विधायक काबिज हैं। राऊ से कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी शहर और अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं। समय-समय पर विपक्ष की अगुआई करते हैं। वादे-दावों पर तात्कालिक जागरूकता दिखाते हैं, लेकिन स्थायी समाधान नहीं कर पाते। महू विधायक कैलाश विजयवर्गीय और कांग्रेस प्रत्याशी अंतरसिंह दरबार विधायकी को लेकर कोर्ट में साढ़े चार साल से आमने-सामने हैं। कैलाश अपने पुत्र और कार्यकर्ताओं के माध्यम से सक्रिय हैं, जबकि दरबार व्यक्तिगत संपर्क में रहते हैं। इंदौर-2 विधायक रमेश मेंदोला और इंदौर-1 विधायक सुदर्शन गुप्ता ने विधायक निधि का अधिकतम उपयोग ट्यूबवेल खनन पर ही किया है। इन क्षेत्रों की अन्य समस्याएं यथावत हैं। इंदौर-4 की विधायक मालिनी गौड़ महापौर भी हैं। क्षेत्र में कई विकास कार्य हुए हैं। इंदौर-5 में महेंद्र हार्डिया, देपालपुर में मनोज पटेल और सांवेर में राजेश सोनकर जनता के बीच पहुंचते तो रहे, लेकिन क्षेत्र के विकास की लंबित योजनाओं पर ज्यादा कुछ नहीं कर पाए हैं। इससे कई बार विरोध का सामना भी करना पड़ा है। कांग्रेस प्रत्याशी रहीं शोभा ओझा, सत्यनारायण पटेल और तुलसी सिलावट लगातार जनाधार बढ़ाने की कोशिश करते दिखते हैं।
स्थानीय समस्याओं पर ध्यान नहीं खातीवाला टैंक निवासी शफी शेख का कहना है, बीते 20 वर्षों से रह रहा हूं, लेकिन लोक परिवहन की समस्या आज भी वहीं की वहीं है। वैशाली नगर निवासी सुनीता मंत्री का कहना है, सडक़ें, ब्रिज तो सुधरे हैं, लेकिन छेड़छाड़ और चेन लूट ने परेशान कर रखा है। असुरक्षा का भाव बन रहा है। खजराना क्षेत्र के व्यापारी जफर बेग का कहना है, सरकार गांवों को शहर में शामिल कर रही है, लेकिन शहरी क्षेत्र की अवैध बस्तियों पर ध्यान नहीं है।
विकास के नाम पर मांगेंगे वोट जनता 2003 के पहले के मप्र की बदहाली नहीं भूली है। भाजपा सरकार ने ढांचागत विकास करते हुए विकास के नए मापदंड खड़े किए। चुनावी कैंपेन में विकास ही आधार होगा। जनता से सतत संपर्क कर समर्थन मांगा जाएगा।
आलोक दुबे, भाजपा नेता जनता के सामने खोलेंगे पोल मुख्यमंत्री ने इंदौर को सपनों का शहर बताकर जितने वादे-दावे किए, वे छलावा साबित हुए। जनता के बीच जाकर सरकार के भ्रष्टाचार की पोल खोलकर समर्थन मांगेंगे। जनता को विकास के नाम पर पीड़ा मिली है।
नरेंद्र सलूजा, कांग्रेस नेता