शहर में सड़कों पर ठेला व साइकिल से फेरी लगाने वालों के अलावा फुटपाथ पर खोमचे की दुकान संचालित करने वालों का इंदौर में एक बड़ा सम्मेलन करने की तैयारी है। ये आयोजन कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता प्रमोद द्विवेदी करने जा रहे हैं जिसकी रूपरेखा तैयार कर ली गई है।
उससे पहले द्विवेदी ने प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धनसिंह को पत्र लिखकर मांग की है कि वे पथ विक्रेता (जीविका का संरक्षण और पथ पर विक्रय का विनियमन) अधिनियम 2014 को लागू करे। ये कानून २०१३ में प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह की सरकार ने बनाया था जिसे प्रदेश सरकार ने स्वीकृति दी थी। आज तक लागू नहीं किया गया। इस कानून में ठेले-खोमचे के माध्यम से सड़क व किनारे छोटा-मोटा काम करने वाले व्यापारियों के लाइसेंस बनाए जाएंगे।
जगह निर्धारित की जाएगी कि वे कहां व्यापार कर सकते हैं। इससे उन्हें भी फायदा होगा और यातायात भी सुगम रहेगा। सारा काम नियम से होने की वजह से उन्हें कोई प्रताडि़त भी नहीं करेगा वे अपमानित भी महसूस नहीं करेंगे। इसके साथ सरकार से मांग की गई कि इन छोटे व्यापारियों को जगह भी उपलब्ध कराई जाए ताकि वे अपनी रोजी रोटी कमा सके।
ऐसे समझे जीविका संरक्षण अधिनियम
स्थानिय निकाय द्वारा हाथ ठेलेवालों, फेरीवालों, साइकिल वालों को लाइसेंस दिया जाता है। शहर के यातायात को देखते हुए तय किया जाता है कि लाइसेंस दिया जाए या नहीं? लाइसेंस दिया गया तो उन्हें तुरंत हटाया भी नहीं जा सकता है। बाजार बंद करने या फेरी पर प्रतिबंध लगाने के एक माह पहले नोटिस देना अनिर्वाय है। साथ में वैकल्पिक स्थान भी बताना होगा। व्यापारी की अचानक मौत होने पर परिवार वालों को लाइसेंस दिया जाएगा।
स्थानिय निकाय द्वारा हाथ ठेलेवालों, फेरीवालों, साइकिल वालों को लाइसेंस दिया जाता है। शहर के यातायात को देखते हुए तय किया जाता है कि लाइसेंस दिया जाए या नहीं? लाइसेंस दिया गया तो उन्हें तुरंत हटाया भी नहीं जा सकता है। बाजार बंद करने या फेरी पर प्रतिबंध लगाने के एक माह पहले नोटिस देना अनिर्वाय है। साथ में वैकल्पिक स्थान भी बताना होगा। व्यापारी की अचानक मौत होने पर परिवार वालों को लाइसेंस दिया जाएगा।