जिला निर्वाचन अधिकारी व कलेक्टर मनीष सिंह ने नगर निगम चुनाव में दाखिल नामांकनों की जांच की व पांच प्रत्याशियों के नामांकन को निरस्त कर दिया। इसमें वार्ड-65 (सिंधी कॉलोनी) के प्रत्याशी गोपाल कोडवानी भी शामिल हैं। जाति प्रमाण पत्र और फॉर्म सहित अन्य दस्तावेज में अंतर पाया जाने के कारण ये फैसला किया गया। जैसे ही इसकी जानकारी कांग्रेस हलकों तक पहुंची तो बवाल मच गया। तुरतफुरत दूसरे प्रत्याशी की तलाश शुरू की गई, जिसमें तीन नाम सामने आए।
कांग्रेस से ही दाखिल हुए हिमांशु यादव व सुनील यादव के अलावा भाजपा के महेश ढलानी का नाम था। शाम को हिमांशु यादव का नामांकन निरस्त कर दिया गया। अब बचते हैं सुनील यादव, लेकिन वार्ड सिंधी बाहुल है, जिसके चलते तुरंत महेश ढलानी को घेरने की रणनीति बनाई गई। कुछ कांग्रेस नेता दुकान पर पहुंच गए। वहां पर वरिष्ठ विधायक सज्जनसिंह वर्मा की ढलानी से बात कराई गई।
दोनों नेताओं ने प्रस्ताव दिया कि वे कांग्रेस से चुनाव लड़ लें। हम बी फॉर्म दे देते हैं। इस पर ढलानी ने टालमटोली कर दी। इसके बाद लगातार कांग्रेस नेताओं ने संपर्क करना शुरू कर दिया। कुछ प्रत्यक्ष तो कुछ फोन लगा रहे थे, जिसमें गोलू अग्निहोत्री ने भी बात की। स्थिति को देखकर ढलानी डर गए। वे तुरंत फोन बंद कर घर और दुकान से गायब हो गए।
भाजपाइयों को लगा हो गए हाइजैक ढलानी पर कांग्रेसियों के डोरे डालने की खबर भाजपाइयों को लगी तो वे भी सक्रिय हो गए। मंडल अध्यक्ष सचिन जैसवानी, अशोक खुबानी, ललित पारानी और पृथ्वीचंदन शिव ने तलाश शुरू कर दी। दुकान और घर के बाहर कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगा दी तो एक को लगातार फोन लगाने की जवाबदारी दी गई।
आखिर में शाम को ढलानी का फोन जैसे ही चालू हुआ, वैसे ही पारानी का फोन लगाना हुआ। चर्चा के दौरान ढलानी ने सारा वाकया बताया कि कांग्रेस नेता लगातार दबाव बना रहे थे, इसलिए वे उज्जैन महाकाल दर्शन करने चले गए। मजेदार बात ये है कि भाजपाइयों को लगा कि कांग्रेसियों ने ढलानी को हाइजैक कर लिया।