क्या था मामला
जीतू पटवारी ने इंदौर के पास खुड़ैल थाना क्षेत्र के बरेठा गांव में सड़क का निर्माण नहीं होने पर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने चक्काजाम किया था। ये आंदोलन जीतू पटवारी की अगुवाई में किया गया था।
जीतू पटवारी ने इंदौर के पास खुड़ैल थाना क्षेत्र के बरेठा गांव में सड़क का निर्माण नहीं होने पर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने चक्काजाम किया था। ये आंदोलन जीतू पटवारी की अगुवाई में किया गया था।
इस दौरान पुलिस कर्मियों से पटवारी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की झड़प भी हुई थी। पटवारी पर पुलिसकर्मियों से मारपीट की धाराएं लगी थी। पिटाई के इसी मामले में पटवारी का जेल वारंट जारी हुआ।
कोर्ट ने उन्हें दोषी पाया और भोपाल सेंट्रल जेल भेज दिया। जिस कोर्ट में जीतू पटवारी को सजा सुनाई गई है वह स्पेशल कोर्ट है जहां पर विधायकों और मंत्रियों आदि के केस की सुनवाई की जाती है।
मामले में 13 दिसंबर 2007 को जीतू पटवारी के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा डालने का प्रकरण दर्ज किया गया था। प्रकरण के फरियादी प्रधान आरक्षक कैलाश ने रिपोर्ट की थी कि वह अपने अन्य साथी पुलिस कर्मियों के साथ चुनाव ड्यूटी के दौरान वाहन चैकिंग कर रहे थे।
तभी उन्हें एक बिना नंबर प्लेट का वाहन आता हुआ दिखाई दिया। उन्होंने जैसे ही उस वाहन को रोका तो वाहन चालक जीतू पटवारी ने उसे धक्का देकर वहां से भगा दिया। इस मामले की सुनवाई पहले इंदौर कोर्ट में चल रही थी लेकिन भोपाल में विशेष अदालत के गठन के बाद मामले की सुनवाई हुई।
वहीं एक और मामला 14 सितंबर 2011 को इंदौर धार हाईवे का भी है। कांग्रेस नेता जीतू पटवारी, तुलसीराम सिलावट, सत्यनारायण पटेल ने अपने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर चक्काजाम कर नारेबाजी की थी। इस घटना में भी कांग्रेस नेताओं की पुलिस से झड़प हुई थी।
पुलिस ने इस मामले में 24 कांग्रेस नेताओं के खिलाफ बलवा और लोक मार्ग पर बाधा उत्पन्न् करने का प्रकरण दर्ज किया था। इस मामले में भी विशेष अदालत में सुनवाई नियत थी जिस दौरान मामले के एक गवाह के बयान भी दर्ज किए गए।
प्रकरण में जीतू पटवारी सहित 10 अन्य लोग हाजिर नहीं हुए। जिस आधार पर उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया।