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दो नंबरी भाजपा पार्षदों के खिलाफ अब कांग्रेस जाएगी राज्य सरकार के पास

locationइंदौरPublished: Jul 13, 2019 06:28:44 pm

संभागायुक्त को सुनवाई का अधिकार न होने पर हाईकोर्ट से हुआ स्टे, परिषद की बैठक में न आने पर निरस्त कराना चाहते हैं पार्षदी

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दो नंबरी भाजपा पार्षदों के खिलाफ अब कांग्रेस जाएगी राज्य सरकार के पास

इंदौर . क्षेत्र-2 के 14 भाजपा पार्षदों के खिलाफ कांग्रेस अब राज्य सरकार के पास जाएगी। कारण भाजपा पार्षदों के खिलाफ कार्रवाई के लिए संभागायुक्त के यहां लगे आवेदन पर हाईकोर्ट का यह कहकर स्टे देना है कि संभागायुक्त को मामले की सुनवाई का अधिकार नहीं, इसलिए अब कांग्रेस मामले को लेकर सोमवार को सरकार के पास जाएगी, ताकि नगर निगम परिषद की बैठक में न आने पर पार्षदी निरस्त कराई जा सके।
रेडिसन चौराहे पर निगम अपर आयुक्त के साथ थप्पड़कांड हुआ था। दो नंबरी खेमे से जुड़ी भाजपा पार्षद सरोज चौहान के समर्थकों ने अपर आयुक्त से मारपीट की थी। इसके बाद पार्षद चौहान सहित उनके पति और समर्थकों के खिलाफ जहां प्रकरण दर्ज हुआ, वहीं महापौर मालिनी गौड़ द्वारा अफसरों का पक्ष लेने पर पार्षद चौहान को जेल जाना पड़ा था। निगम में भाजपा व प्रदेश में सरकार के होने के बावजूद पार्षद को जेल जाना पड़ा। इसको लेकर विधायक रमेश मेंदोला व चौहान सहित अन्य 14 पार्षदों ने महापौर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। साथ ही निगम और परिषद की बैठक में आना बंद कर दिया।
महापौर से अलगाव के चलते लगातार ३ बार परिषद की बैठक में दो नंबरी नहीं आए। इस पर इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए कांग्रेस के पूर्व पार्षद चिंटू चौकसे ने तत्कालीन संभागायुक्त संजय दुबे को आवेदन दिया। मामले में निगम से संबंधित शिकायत को लेकर दस्तावेज लिए गए, लेकिन कार्रवाई होने से पहले दुबे का तबादला हो गया और संभागायुक्त राघवेंद्र सिंह हो गए।
इनके कार्यकाल में भी कुछ नहीं हुआ और इनका तबादला होने के बाद वर्तमान में संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी की टेबल तक मामला पहुंचा। पूर्व पार्षद चौकसे द्वारा नगर निगम अधिनियम यानी एक्ट की धारा 17 (2) सी के तहत भाजपा पार्षदों के खिलाफ कार्रवाई का आवेदन संभागायुक्त को दिया था।
इसको भाजपा पार्षदों ने चुनौती दी और याचिका हाईकोर्ट में दायर की। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने भाजपा पार्षदों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय यह कहकर स्टे दे दिया कि एक्ट की इस धारा में संभागायुक्त को न तो कार्रवाई करने का अधिकार है और न ही सुनवाई करने का।
वहीं चौकसे ने हाईकोर्ट में यह कहकर लिबरटी ली है कि मामले को लेकर हम राज्य सरकार के पास जाएंगे। अब वे पूरे मामले को लेकर सोमवार को राज्य सरकार के पास जाएंगे। इसके साथ ही नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के सचिव को प्रतिवेदन सौंपेगे।
राज्य सरकार को है अधिकार

पूर्व पार्षद चौकसे का कहना है कि नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा-17 (2) सी के तहत कार्रवाई करने का अधिकार राज्य सरकार को है। निगम एक्ट में इस धारा के तहत लिखा है कि अगर कोई पार्षद लगातार छह महीने तक निगम परिषद की बैठक में नहीं आए, तो सरकार को उसकी पार्षदी खत्म करने का अधिकार है। इसलिए अब सोमवार को दो नंबरी भाजपा पार्षदों के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को आवेदन दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि निगम एक्ट की धारा 19 के तहत संभागायुक्त को सुनवाई और कार्रवाई का अधिकार है।

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