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आंदोलनों के फेर में कन्फ्यूज…कांग्रेसी

locationइंदौरPublished: May 31, 2018 11:30:34 am

Submitted by:

Mohit Panchal

दोनों ही आयोजनों में भीड़ जुटाने के लिए इंदौर पर नजर, 5 जून को भोपाल में प्रदर्शन में गए तो अगले दिन कैसे जाएंगे मंदसौर

Madhya Pradesh Congress

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इंदौर। 15 साल के वनवास के बाद कांग्रेस अब चुनाव में संघर्ष के मोड में आ गई है, जिसके चलते आंदोलन और आयोजनों की फेहरिस्त तैयार कर ली गई है। उनके फेर में अब इंदौरी नेता कन्फ्यूज हो रहे हैं क्योंकि भीड़ जुटाने के लिए उनकी तरफ देखा जा रहा है। मुसीबत ये है कि ५ जून को भोपाल में मुख्यमंत्री निवास का घेराव है और 6 जून को मंदसौर में राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी आ रहे हैं। नेता व कार्यकर्ता जाए तो कहां जाए, क्योंकि इंदौर से भोपाल और भोपाल से मंदसौर का सफर कम समय में इतना आसान नहीं होगा।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद में कमलनाथ अब तक पूरे प्रदेश का माहौल देख रहे थे, लेकिन अब वे चुनावी रंग में आ गए हैं। संगठन को जिंदा करने के साथ सोशल इंजीनियरिंग करते हुए सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के प्रयास में जुट गए हैं।
३ जून को सिंधी समाज का राजधानी के मानस भवन में सम्मेलन रखा गया है तो ४ जून को रोजा इफ्तार पार्टी रखी गई है। दोनों ही आयोजनों में प्रदेशभर से समाज के प्रतिष्ठित लोगों को न्योता दिया गया है। चूंकि इंदौर में दोनों ही वर्ग बड़ी संख्या में रहता है, जिसके चलते संख्या लाने पर जोर दिया जा रहा है।
५ जून को कमलनाथ ने पेट्रोल-डीजल मूल्यवृद्धि के विरोध में बैलगाड़ी यात्रा का आह्वान किया है। एक तरह से यह आंदोलन शक्ति प्रदर्शन होगा, जिसमें मुख्यमंत्री निवास का घेराव किया जाएगा। यह आंदोलन प्रदेश अध्यक्ष की प्रतिष्ठा का सवाल है, जिसको लेकर सभी जिला इकाइयों को भीड़ जुटाने के निर्देश दिए गए हैं। खासतौर पर इंदौर से संख्या लाने के लिए नेताओं को कहा गया है।
अगले ही दिन ६ जून को मंदसौर में राहुल गांधी की सभा है, जिसको लेकर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष व विधायक जीतू पटवारी को अहम जिम्मेदारी दी गई है, वे भी राष्ट्रीय अध्यक्ष की सभा को सफल बनाने के लिए इंदौर में ताकत लगा रहे हैं।
इंदौरी नेताओं की मजबूरी है कि उन्हें भोपाल भी जाना है और राष्ट्रीय अध्यक्ष की सभा में भी उपस्थिति दर्ज कराना है, पर ये संभव नहीं है। भोपाल का आयोजन शाम का है, जिसके चलते रात वहीं हो जाएगी। ऐसे में भोपाल से मंदसौर तक का 350 किमी का सफर आसान नहीं होगा। ऐसे में कार्यकर्ताओं को साथ लेकर दोनों जगह जाना आसान नहीं है। इतना लंबा सफर तय करने में ही फजीहत हो जाएगी।
वर्मा और पटवारी पर भारी दबाव
नाथ ?? के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद में पूर्व सांसद सज्जनसिंह वर्मा की भूमिका अहम हो गई है। वे नाथ के प्रदेश में सबसे खास नेताओं में गिने जाते हैं तो जमीनी पकड़ भी मजबूत है। हर आयोजन में नाथ उन्हें भीड़ जुटाने की जवाबदारी सौंप रहे हैं।
सिंधी सम्मेलन हो या बैलगाड़ी यात्रा दोनों में वर्मा पर कार्यकर्ताओं को लाने का दबाव है। इधर, कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद पटवारी की भी यही स्थिति है। खुद को सिद्घ करने के लिए उन्हें अतिरिक्त कसरत करना पड़ रही है। मंदसौर का प्रभार होने पर वे इंदौर से बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को ले जाने की तैयारी कर रहे हैं।

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