कोरोना की दूसरी लहर बेहद जानलेवा साबित हुई थी. देशभर में इसकी जद में आए करोड़ों संक्रमितों में इंदौर के लोग भी शामिल थी. इंदौर में तो दूसरी लहर मानो कयामत बनकर आई थी. इस अवधि में प्रदेशभर में सबसे ज्यादा संक्रमित यहीं थे और यहां सर्वाधिक मौतें भी हुई थीं. हकीकत तो यह है कि मध्यप्रदेश में दूसरी लहर की शुरुआत ही यहीं से हुई थी.
अब दूसरी लहर से संबंधित एक हैरतअंगेज सच्चाई सामने आई है. इंदौर के मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य विभाग द्वारा कराए गए एक सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल-मई की दूसरी कोरोना लहर बेहद घातक थी। इस दौरान शहर के हर दस में से आठ घरों में कोरोना वायरस पहुंच गया था यानि अस्सी फीसदी घर कोरोना की चपेट में थे।
इस जबर्दस्त फैलाव ने बच्चों को भी अपनी जद में ले लिया था. अगस्त में 18 साल से कम उम्र के 1800 बच्चों में कराए गए सीरो सर्वे यानि एंटीबॉडी टेस्ट से यह खुलासा हुआ है. सर्वे के अनुसार करीब 75 प्रतिशत बच्चों में यह संक्रमण हुआ. संक्रमण होकर निकल गया और बच्चों में एंटीबॉडी बन गई।
हालांकि सर्वे के परिणाम अभी औपचारिक रूप से घोषित नहीं किए गए हैं. इस संबंध में संभागायुक्त डाॅ. पवन शर्मा ने बताया है कि सीरो सर्वे का परिणाम अभी तैयार हो रहा है। सूत्रों के अनुसार सर्वे के प्रारंभिक नतीजे के अनुसार 75 फीसदी बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई है। पिछले साल पहली लहर के बाद किए गए सीरो सर्वे में महज 7.75% लोगों में कोरोना की प्रति इम्युनिटी पाई गई।
स्पेशलिस्टों के अनुसार कोविड 19 की पहली लहर अधिक घातक नहीं थी लेकिन दूसरी लहर में जबर्दस्त संक्रमण फैला। यदि लापरवाही बरतना जारी रखा तो तीसरी लहर भी घातक हो सकती है. ज्यादातर लोगों के वैक्सीनेशन करा लेने के बाद भी वायरस का म्यूटेशन घातक हो सकता है. मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की आदत बनाए रखना जरूरी है.