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निजी में कोरोना, सरकारी में नेगेटिव … मरीज की आफत में जान

locationइंदौरPublished: Jul 08, 2020 10:54:13 am

Submitted by:

Mohit Panchal

निजी लैब की गलत रिपोर्ट से चकरघिन्नी हो गया परिवार, सरकारी अमले ने पूरे परिवार को कर दिया होम क्वॉरंटीन, परिवार को था विश्वास, दूसरी बार कराई जांच, दोनों में आई नेगेटिव रिपोर्ट

निजी में कोरोना, सरकारी में नेगेटिव ... मरीज की आफत में जान

निजी में कोरोना, सरकारी में नेगेटिव … मरीज की आफत में जान

इंदौर। एक प्राइवेट लैब की रिपोर्ट ने मरीज के साथ पूरे परिवार को हैरान-परेशान कर दिया। अस्पताल ने ऑपरेशन करने से इनकार कर दिया तो दूसरी तरफ पूरे परिवार को प्रशासन ने क्वॉरंटीन कर दिया। बाद में परिवार ने दूसरी प्राइवेट लैब और स्वास्थ्य विभाग से जांच कराई तो दोनों ही रिपोर्ट नेगेटिव आई, इसके बाद परिवार को राहत मिल पाई।
मामला केसरबाग रोड स्थित श्रीराम नगर में रहने वाले पावेचा परिवार का है। तबीयत खराब होने की वजह से परिवार की छोटी बहू शीतल का मयूर हॉस्पिटल में ऑपरेशन होना था। डॉक्टर ने पहले कोरोना जांच करवाने को कहा, जिस पर सेंट्रल लैब से जांच कराई गई। रिपोर्ट पॉजिटिव आई। यह जानकारी लगते ही सरकारी अमला काम पर लग गया। परिवार के सभी सदस्यों को घर में क्वॉरंटीन कर दिया।
खबर लगते ही पड़ोसी भी सहम गए और उन्होंने दूरी बना ली। इधर, परिवार को विश्वास था कि शीतल घर से निकली नहीं और पूरा परिवार बहुत सावधानी रख रहा है, ऐसे में कोरोना होने की संभावना नहीं है। तुरंत दूसरी प्राइवेट लैब से जांच कराई गई। इस बीच सरकारी अमला भी सैंपल लेने के लिए पहुंच गया। परिवार के दस सदस्यों के बकायदा सैंपल लिए गए।
दूसरी निजी लैब की रिपोर्ट शाम को नेगेटिव आ गई। इसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों को स्थिति से अवगत करवाया और ऑपरेशन कराने की अनुमति मांगी गई, क्योंकि अस्पताल ने तकनीकी पेंच में उलझने से इनकार कर दिया। प्रशासन को भी समझ में आ गया कि निजी लैब से गड़बड़ हो गई। अनुमति के बाद में शीतल का ऑपरेशन किया गया।
खत्म हो गया होगा कोरोना
सेंट्रल लैब से मिला जवाब

मयंक पावेचा ने बताया कि सेंट्रल लैब की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, लेकिन हमें विश्वास था कि कोरोना नहीं है। जब सरकारी व अन्य निजी लैब की रिपोर्ट नेगेटिव आई तो हमने सेंट्रल लैब से बात की। इस पर उनका जवाब था कि बाद में कोरोना खत्म हो गया होगा। उसके भरोसे रहते और दस दिन ऑपरेशन नहीं कराते तो स्थिति बिगड़ जाती। सरकारी अमले ने हमारी मजबूरी समझी और दिल खोलकर मदद की।

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