४ अप्रैल को स्कीम-७१ में रहने वाले एक बुजुर्ग की तबियत खराब हुई थी। संकेत समझने के बाद वे खुद गाड़ी चलाकर एमवाय गए और वहां से गोकुलदास में भर्ती हुए। बाद में उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई तो उन्हें अरबिंदो अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। दूसरी तरफ ७० वर्षीय पत्नी को घर में ही क्वारंटाइन कर दिया गया। ११ अप्रैल को अचानक पत्नी की तबीयत खराब होने लगी।
कई अस्पतालों में फोन लगाए, लेकिन कोई एम्बुलेंस भेजने को तैयार नहीं हुए। आखिर में भतीजे महेश अग्रवाल ने अपने मित्र लोकेंद्रसिंह राठौर व राजसिंह गौड़ को फोन लगाकर स्थिति बताई। दोनों ने कुछ देर मशक्कत के बाद एम्बुलेंस की व्यवस्था की जहां से वे अरबिंदो अस्पताल पहुंचीं। जहां उन्हें लेने से इनकार कर दिया। कहना था कि हमारे यहां पॉजिटिव मरीजों को रखा जा रहा है।आपकी जांच नही ंहुई तो कैसे ले लें? दूसरे अस्पताल जाना पड़ेगा।
रात ८ बजे से वह १ बजे तक अस्पताल के बगीचे में बैठी रहीं। इस बीच में अग्रवाल ने अपने परिचित डॉक्टर को फोन लगाया तो अस्पताल ने उन्हें जनरल वार्ड में भर्ती करने का फैसला किया। सामान्य इलाज चल रहा था, लेकिन कोरोना की जांच नहीं की गई। इस पर अग्रवाल ने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को फोन लगाकर स्थिति से अवगत कराया। कुछ ही देर में टीम सैंपल लेने पहुंची। साथ में उषा नगर में रहने वाली बेटी व दामाद का भी सैंपल लिया गया।
मुख्यमंत्री को लिखा पत्र भतीजे महेश अग्रवाल भाजपा के विधि प्रकोष्ठ में काम करते हैं। उन्होंने कल मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को एक पत्र लिखा। कहा कि आज आपके सपनों का शहर इंदौर सर्वाधिक कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुका है। इंदौर में संक्रमित लोगों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। मुझे लगता है कि शासन, प्रशासन का ध्यान सिर्फ राशन, दूध व सब्जी पर लगा हुआ है।
४ अप्रैल को काकी, बहन व दामाद को क्वारंटाइन किया गया था, लेकिन कल तक सैंपल नहीं लिए, जबकि कई बार संपर्क किया गया। टीम उन जगहों पर जा रही है, जहां पर पत्थर बरसाए जा रहे हैं। मेरा अनुरोध है कि इंदौर कि स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई है जो नियंत्रण से बाहर हो रही है। आज तक पार्षदों, विधायकों और सांसद ने कोरोना पीडि़तों से संपर्क कर हालचाल भी नहीं पूछे हैं।