ऐसा ही एक वाकया बीती रात सामने आया। सर्वोदय नगर में रहने वाले नंदकिशोर अटल (54) की कल अचानक तबीयत खराब हो गई। उन्हें परिजन लेकन पहले सीएचएल हॉस्पिटल पहुंचे। यहां इलाज किए बगैर उन्हें एमवाय जाने के लिए कह दिया। बेटे अर्पित ने बताया कि अस्पताल में मौजूद स्टाफ ने कोरोना के लक्षण देख एमवायएच जाने को कहा। यहां रात में लेकर पहुंचे तो इन्होंने चेस्ट सेंटर भेज दिया। यहां एक्सरे किया गया, इसके कुछ समय में ही पिताजी की मौत हो गई। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव ले जाने का कह दिया। नंदकिशोर के परिजन घबरा गए। कहना था कि अगर कोरोना संक्रमण से मौत हुई है, तो जांच करवाइए। हमें क्या सावधानी रखना है, यह भी बताइए, लेकिन मौजूद स्टाफ ने शव सौंप दिया।
अर्पित ने बताया कि हम चाहते थे कि सैंपल लिए जाएं, ताकि जांच हो सके। क्योंकि मौत का कारण सांस में तकलीफ, बुखार और सर्दी ही था। यही कोरोना के लक्षण हैं, लेकिन हमें शव दे दिया और कोई दिशा निर्देश भी नहीं दिए गए। एक तरफ जहां निजी अस्पताल हर मरीज को कोरोना बताकर उसका इलाज करने से मना कर रहे हैं, वहीं एमवाय अस्पताल में ऐसे मरीजों की जांच तक नहीं की जा रही, जिससे स्थिति स्पष्ट हो सके। इधर 2 मार्च से यहां इलाजरत मोती तबेला निवासी अब्दुल रहीम पिता इब्राहिम (70) की भी मौत हो गई। परिजनों ने बताया की हार्ट की समस्या थी, जिसके चलते मौत हुई है।