प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहलाने वाले इंदौर में वैसे तो कोरोना संकट में किसी प्रकार की समस्या नहीं रही। जिला प्रशासन और नगर निगम ने कफ्र्यू लागू करने के तुरंत बाद ही किराना के सामान की व्यवस्था जुटा दी और बाद में अब सब्जियां भी घर पहुंचाई जा रही हैं। रोज कमाने खाने वालों के लिए मुफ्त में कच्ची सामग्री के पैकेट बांटे गए तो स्वयंसेवी संस्थाओं ने दिल खोलकर खाना बांटा।
इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग इंदौर से बाहर जाना चाहते थे, जिसको लेकर कई लोग लगातार जिला प्रशासन के दरवाजे पर दस्तक दे रहे थे। स्थिति को देखते हुए कलेक्टर मनीष सिंह ने आईडीए सीईओ विवेक श्रोत्रिय को ई-पास व्यवस्था संभालने के निर्देश जारी किए। अब तक जारी हुए पास का आंकड़ा चौंकाने वाला है। गुरुवार तक ५३ हजार से अधिक लोगों को ई-पास जारी किए गए।
इनमें से अन्य राज्यों से मध्यप्रदेश के लिए जारी पास की संख्या २४६३ है, जबकि अन्य राज्यों से इंदौर आने वालों की संख्या १२ हजार १७७ है। इसके अलावा इंदौर से अन्य जिलों में जाने वालों की संख्या ३७ हजार ७३२ है। इतने लोगों को ई-पास जारी किया गया। ये लोग अपने घरों तक पहुंच भी गए।
एक लाख लोगों का पलायन कोरोना वायरस की वजह से इंदौर छोडऩे वालों की तादाद बढ़ी है। ३८ हजार की संख्या तो ५ मई से है, लेकिन उसके पहले भी बड़ी संख्या में लोग रवाना हो चुके थे। संक्रमण को देखते हुए होटल व होस्टलों को खाली करवा दिया गया था। इंदौर में हजारों की संख्या में विद्यार्थी व पर्यटक रहते हैं, जो छोड़कर जा चुके थे। इस हिसाब से देखा जाए तो जाने वालों की संख्या एक लाख से अधिक है।