इंदौर

रहवासी एक-दूसरे की मदद कर हरा रहे कोरोना संक्रमण को

कृषि विहार कॉलोनी : 20 दिन में 35 घरों में संक्रमण, 8 की मौत

इंदौरApr 25, 2021 / 02:33 am

रमेश वैद्य

रहवासी एक-दूसरे की मदद कर हरा रहे कोरोना संक्रमण को

इंदौर. तिलक नगर के पास की पॉश कृषि विहार कॉलोनी में पिछले २० दिनों में तेजी से कोरोना का संक्रमण फैला है। कॉलोनी में महज 70 परिवार रहते हैं और बीते दिनों में इनमें से करीब ३५ में कोरोना का संक्रमण हो गया। कुछ परिवार पूरे, तो कुछ के सदस्य संक्रमण की जद में आ गए।
निराशाजनक बात यह कि 15 दिन में आठ लोगों का निधन भी हो गया है। इनमें 35 से से 50 साल तक के लोग शामिल हैं। हालांकि इस बुरे दौर का कॉलोनी के रहवासी मिल कर सामना कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण की जद में आने वाले परिवारों को किसी भी तरह की परेशानी ना हो इसलिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उनके उपचार से लेकर खाने-पीने की व्यवस्था भी कॉलोनी वाले मिलकर कर रहे हैं।
बकायदा वाट्सऐप गु्रुप बनाया गया है, जिसमें हर परिवार का कोरना से जुड़ा अपडेट शेयर किया जा रहा है। संक्रमण को कंट्रोल करने के लिए सभी ने कॉलोनी का गार्डन बंद कर दिया है। मॉर्निंग और ईवनिंग वॉक पर भी रोक लगा दी गई है। सभी लोग अपने घरों की छतों पर ही योगा एवं अन्य तरीकों से स्वस्थ रहने का प्रयास कर रहे हैं।
कॉलोनी में आने वाले सब्जी, दूध वालों सहित किराना दुकान व मेडिकल वालों को भी विशेष एहतियात बरतने की हिदायत दी गई है। रहवासी संघ के संरक्षक संजय खादीवाल का कहना है जब हमारी ७० परिवारों की कॉलोनी में इतने संक्रमण हो गया है, तो शहर की स्थिति चिंता जनक होना तय है। उन्होंने बताय पिछले १५ दिनों में आठ लोगों की मौत कोरोना के कारण हो गई है। कुछ लोग अस्पतालों में उपचार करा रहे हैं, जबकि बड़ी संख्या में रहवासी होम आइसोलेशन में ही ठीक हो गए हैं। अब तक कॉलोनी के शिव यादव, विवेक शर्मा (38) उनकी पत्नी अनुपमा शर्मा (35 वर्ष), अर्पण शाह (35), वर्धमान जैन, पालु भाटिया एंव अन्य का कोरोना के चलते निधन हो चुका है।
गाइडलाइन की आड़ में क्लैम खारिज कर रहीं बीमा कंपनियां
इंदौर. कोरोना के नाम पर कई निजी अस्पतालों में मरीजों के साथ की जा रही धोखाधड़ी के बीच अब बीमा कंपनियां भी मरीजों को परेशान बढ़ा रही है। नए-नए कारणों से बीमित व्यक्ति के क्लैम रिजेक्ट किए जा रहे हैं।
ताजा मामले में एक महिला ने कोरोना संक्रमित होने पर डॉक्टर की सलाह पर अस्पताल में भर्ती होकर पांच दिन इलाज कराया। अस्पताल ने करीब 1.40 लाख रुपए का बिल बनाया। कैश लेस बीमा होने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने उससे पूरा भुगतान करवाया और बीमा कंपनी से क्लैम की राशि लेने को कहा। महिला ने जब बीमा कंपनी में आवेदन किया तो कंपनी ने इसलिए राशि देने से इनकार कर दिया कि एआइआइएमएस (एम्स) की गाइडलाइन के अनुसार आप को कोरोना के तहत जो परेशानियां हो रही थी उतने में एडमिट करने की जरूरत नहीं थी, उसके बावजूद आप एडमिट हुए हैं, इसलिए क्लैम पास नहीं किया जा सकता है।
एम्स की गाइडलाइन में मरीज के ऑक्सीजन लेवल, ब्लड में मौजूद डी डायमर, सेचुरेशन सहित तमाम बिंदुओं को शामिल किया है, लेकिन सवाल उठता है कि हर व्यक्ति की शारीरिक संरचना, रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता आदि अलग होती है। इस केस में महिला को जब एडमिट किया गया तब उनका ऑक्सीजन लेवन 92 था, डी डायमर भी ठीक था लेकिन फेफड़ों में संक्रमण 30 प्रतिशत था, जिसके कारण डॉक्टर ने उन्हें अस्पताल में भर्ती होकर उपचार कराने की सलाह दी थी। ग्रेटर ब्रजेश्वरी में रहने वाली श्रष्टि गुप्ता ने अपने इस केस को लेकर बीमा कंपनी से जुड़े ट्रिब्यूनल में शिकायत करने की तैयारी की है।

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