संक्रमण बढऩे के साथ ही सरकारी व निजी अस्पतालों में दूसरी लहर में काम आई दवाइयों का स्टॉक किया जा चुका है। अन्य आवश्यक दवाइयों के स्टॉकिस्ट के साथ भी प्रशासन बैठक कर उनकी उपलब्धता का जायजा ले रहा है। अस्पतालों में पुरानी जीवनरक्षक दवाइयों के अलावा बाजार में आई नई दवाइयों की उपलब्धता भी देखी जा रही है। ज्यादा चर्चा मोलनुपिराविर को लेकर है। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना एंटी-वायरल ड्रग मोलनुपिराविर (antiviral drugs Molnupiravir) के इमरजेंसी यूज की मंजूरी दी है। इस दवा का स्टाक इंदौर पहुंच चुका है। विशेषज्ञों का दावा है कि यह ओमिक्रॉन पर भी कारगर है।
कुछ दवाइयां प्रोटाकॉल से बाहर
सोमवार को कलेक्टर मनीष सिंह व सांसद शंकर लालवानी की उपस्थिति में हुई आइएमए व नर्सिंग होम एसोसिएशन की बैठक में नई दवाइयों को उपचार प्रोटोकॉल में शामिल करने की अनुशंसा की है। इसमें रेमडेसिविर और टोसीलिजुमैब ड्रग के साथ ही मोलनुपिराविर जैसी ओरल दवाओं के अलावा कुछ नई दवाइयों को भी शामिल किया गया है। फैबी फ्लू, फेविपिराविर जैसी दवाइयों को प्रोटोकॉल से बाहर किया गया है।
70 से 80 प्रतिशत तक प्रभावी
मोलनुपिराविर ओरल दवा को शुरुआती लक्षणों के दौरान देने की अनुशंसा की गई है। दवा 70 से 80 प्रतिशत तक प्रभावी है। कुछ दिन पहले ही इस दवा को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से मंजूरी मिली है। इस एंटीवायरल दवा को इन्फ्लूएंजा के लिए विकसित किया गया था। यह दवा वायरस के जेनेटिक कोड में गड़बड़ी कर उसकी फोटोकॉपी होने से रोकती है। पल्मोनरी डिसिस विशेषज्ञ डॉ. रवि डोसी ने बताया कि इंदौर में भर्ती 9 मरीजों पर मोलनुपिराविर का अच्छा असर देखा गया। हालांकि, ज्यादा संक्रमण वालों को रेमडेसिविर भी दिया जा रहा है।
अपनी मर्जी से न लें दवाइयां
डॉ. डोसी का कहना है कि यह दवा सिर्फ कोरोना पॉजिटिव के लिए है और डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही खरीदी जा सकेगी। अपनी मर्जी से दवा का सेवन नहीं करें। 18 साल से कम उम्र के मरीजों पर इसका उपयोग नहीं होगा। कोरोना संक्रमण की आशंका को लेकर पहले से कोई दवा लेना घातक हो सकता है।
होम आइसोलेशन में यह मरीज