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भ्रष्टाचार में पकड़ाए हर निगमकर्मी के परिजन के नाम मिलती है फर्म

locationइंदौरPublished: Oct 30, 2021 06:28:13 pm

एजेंसियां पद के दुरुपयोग की आशंका में कर रही जांच
 

भ्रष्टाचार

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इंदौर. जब भी नगर निगम का कोई कर्मचारी या अधिकारी भ्रष्टाचार के मामले में फंसता है तो पता चलता है कि उसके परिजन के नाम पर फर्म बनी है, जो नगर निगम से ठेके लेकर काम करती है। किसी की पत्नी तो किसी के अन्य रिश्तेदार के नाम फर्म से संबंधित दस्तावेज मिलते हैं। पद के दुरुपयोग की आशंका में फर्म के ठेकों की जानकारी लेकर एजेंसियां जांच कर रही हैं।
ईओडब्ल्यू की टीम ने गुरुवार को लेखा विभाग के बाबू राजकुमार सालवी के ठिकानों पर छापा मारा था। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज करने के बाद जांच की गई, जिसमें करीब 4 संपत्तियों का पता चला। यह बात भी सामने आई की राजकुमार की पत्नी के नाम एक फर्म है, जिसके जरिए ठेके लिए जाते हैं। हालांकि अभी फर्म बंद होने की बात की जा रही है।
ईओडब्ल्यू के एसपी धनंजय शाह के मुताबिक, किसी भी रिश्तेदार के नाम से फर्म होना गलत नहीं है लेकिन दबाव-प्रभाव से काम हासिल करना पद के दुरुपयोग की श्रेणी में आता है। फर्म की जानकारी हासिल कर देखा जाएगा कि किस तरह के ठेके लिए गए और क्या काम किया? यह जांच का हिस्सा है।
वैसे यह पहला मामला नहीं है जब जांच के दौरान कर्मचारी के परिजन की फर्म मिली है। इसके पहले के चर्चित मामलों में ऐसा हो चुका है।
केस 1: असलम के परिवार की तीन फर्म, चालान भी पेश नहीं
अगस्त 2018 में नगर निगम के चर्चित कर्मचारी असलम खान के ठिकानोंं पर लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार के केस में जांच की तो करीब 21 संपत्तियां मिली थीं। इन संपत्तियों को हाल ही में ईडी ने अटैच किया है। असलम के नगर निगम के उद्यान विभाग में कार्यरत भाई के घर पर भी छानबीन की गई जिसमें 25 लाख रुपए भी जब्त हुए थे। साथ ही दोनों भाइयोंं की पत्नियों के नाम तीन फर्म की जानकारी सामने आई थी। उद्यान विभाग के ठेके फर्मों द्वारा हासिल करने की बात सामने आई जिसकी जांच शुरू हो गई थी। हालांकि तीन साल बाद भी जांच पूरी नहीं हुई और चालान भी पेश नहीं किया जा सका। डीएसपी संतोष भदौरिया के मुताबिक, संपत्ति के साथ ही फर्मों की जांच भी चल रही है। फर्म को काम दिलाने में पद अथवा प्रभाव के इस्तेमाल की बात आई तो अलग से कार्रवाई होगी। जल्द ही चालान पेश करने का प्रयास किया जाएगा।
केस 2: रिश्तेदार की फर्म व टैंकर भी अटैच किए थे

११ अक्टूबर 2018 को नगर निगम के सब इंजीनियर व स्वच्छ भारत अभियान के तत्कालीन प्रभारी अभयसिंह राठौर के ठिकानों पर ईओडब्ल्यू ने ही भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई की थी। उस दौरान भानजे के नाम नगर निगम में फर्म होने की बात सामने आई थी। अभयसिंह राठौर के पास जलयंत्रालय का भी प्रभार था। जांच में पता चला था कि दो रिश्तेदारों के नाम नगर निगम में कई टैंकर भी अटैच किए थे। एसपी धनंजय शाह के मुताबिक, सभी बिंदुओं के आधार पर जांच चल रही है, जिसके कारण देरी हो रही है। जल्द जांच कर चालान पेश किया जाएगा।
केस 3: ट्रैप व आय से अधिक संपत्ति में फंसे अधीक्षक की भी कंपनियां

२ अगस्त 2021 को नगर निगम के जनकार्य विभाग में पदस्थ अधीक्षक विवेक सक्सेना व महिला कर्मचारी को लोकायुक्त की टीम ने 25 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा। ठेकेदार का बिल पास करने के लिए रिश्वत की मांग की थी। जांच की तो कई संपत्तियां मिली। पत्नी के नाम तीन फर्म होने की बात सामने आई। पत्नी के नाम एक पैवर ब्लॉक बनाने की फैक्टरी में भी साझेदारी थी। लोकायुक्त ने रिश्वत के साथ ही आय से अधिक संपत्ति का भी केस दर्ज किया। फर्म की भी जांच की जा रही है।
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