ऐसा नहीं है कि निर्वाचन आयोग यह प्रयोग यहीं से शुरू करने जा रहा है। इसके पहले अन्य राज्यों में ईवीएम मशीन पर प्रत्याशी के चुनाव चिह्न के साथ फोटो चस्पा करने का प्रयोग हो चुका है। इसका फायदा यह रहा कि ऐसे कई प्रौढ़ व अशिक्षित मतदाताओं को अपने पसंदीदा प्रत्याशी के चुनाव चिह्न के साथ ही चेहरा देखते ही बटन दबाने की सहुलियत मिल गई। पहले नाम और चुनाव चिह्न होता था। कई बार एक नाम के दो प्रत्याशी भी होते हैं जिससे मतदाता असमंजस में पड़े जाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा।
चुनाव में होने वाले असीमित पैसा खर्च की निगरानी करने के लिए इस बार नए नियम जोड़े गए हैं। निर्वाचन विभाग के मास्टर ट्रेनर आरके पांडे ने बताया, महापौर को तो हर दिन का हिसाब रखना होता ही है। इस बार पार्षद को भी अपना हिसाब रखना होगा। हर भुगतान बैंक के द्वारा होगा इसके लिए अलग से बैंक खाता खुलवाकर निर्वाचन आयोग को जानकारी देनी होगी। फॉर्म जमा करते वक्त रिटर्निंग अधिकारी द्वारा प्रत्याशी को एक रजिस्टर दिया जाएगा। हर पेज का वेरिफिकेशन किया जाएगा। इसमें हर दिन का हिसाब-किताब रखना होगा। परिणाम आने के 30 दिन के अंदर आयोग में हिसाब देना होगा। अन्यथा भविष्य के लिए चुनाव लडऩे के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
एडवोकेट प्रदीप होलकर ने बताया, शपथपत्र और नामांकन फॉर्म में करीब 300 बिंदुओं की जानकारी प्रत्याशी को देना होगी। अगर एक भी कॉलम छोड़ा जाएगा तो फॉर्म स्वीकार नहीं किया जाएगा। शपथ-पत्र में अपने आपराधिक रिकॉर्ड, शिक्षा, संपत्ति, जेवरात से लेकर हेलिकॉप्टर तक की जानकारी मांगी गई है। पहली बार निर्दलीय का एक ही प्रस्तावक पार्टी प्रत्याशी को फॉर्म भरते वक्त एक ही प्रस्तावक की जरूरत होती है वहीं निर्दलीय के लिए 10 प्रस्तावक देने होते थे, लेकिन अब पार्टी प्रत्याशी की तरह निर्दलीय को भी एक ही प्रस्तावक से काम चल जाएगा।