– अपमान से मैं काफी आहत हूं। मुझसे बड़ी गलती हुई कि मैं कार्यक्रम में चला गया। अब कभी ऐसे कार्यक्रमों में नहीं जाऊंगा। अपमान होता रहा तो मप्र छोड़ दूंगा।
– कला और संस्कृति के आयोजनों में उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्य अपने यहां के कलाकारों को अवसर देते हैं। मध्यप्रदेश अकेला ऐसा राज्य है, जो हर आयोजन में अन्य राज्यों के कलाकारों को बुलाता है। यह यहां के कलाकारों का अपमान है।
– जब मुझे पद्मश्री मिला था तो कई राज्यों से मुझे बधाई पत्र मिले थे। गुजरात ने तो बुलाकर मेरा सम्मान किया था। मैं मप्र का हूं और विडंबना देखिए कि यहां राज्य सरकार की ओर से मुझे एक पत्र तक नहीं दिया गया।
– संगीत और नृत्य से जुड़े चार पद्मश्री से सम्मानित लोग प्रदेश में हैं। सांस्कृतिक और कला के आयोजनों के लिए राज्य सरकार चाहे तो इनकी कमेटी बना सकती है। लेकिन… इसके लिए इच्छाशक्ति तो हो।
पत्रिका ने मामले की खबर प्रकाशित की थी। दिनभर सोशल मीडिया पर पत्रिका की खबर ट्रेंड होती रही और चहुंओर से निंदा होने के बाद ठाकुर आखिरकार दाधीच के घर पहुंचीं। उन्होंने घटनाक्रम पर दाधीच से क्षमा मांगी। उन्होंने कहा, घटना को लेकर मैं क्षमा मांगती हूं। कार्यक्रम के दौरान यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया, नहीं तो मैं वहीं आपसे बात करती। आयोजकों को इस बात का ध्यान रखना था कि सभी के लिए व्यवस्था हो। जिस व्यक्ति ने अपमान किया है, उसे तलाशकर मैं सजा दूंगी। अपमान करने वाला व्यक्ति मेरा पीए नहीं है, क्योंकि वे मेरे साथ थे। हालांकि यह हो सकता है कि मेरे साथ आए लोगों में से किसी ने यह हरकत की हो।
दाधीच से मुलाकात में ठाकुर ने आश्वस्त किया कि अब प्रदेश के बड़े सांस्कृतिक आयोजनों के लिए वरिष्ठ कलाकारों की कमेटी बनाई जाएगी। यह कमेटी आयोजन का स्वरूप तय करेगी। कलाकारों को बुलाने का फैसला भी कमेटी की सहमति से किया जाएगा।