प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लॉकडाउन की घोषणा करने के बाद भी आम जनता समझने को तैयार नहीं है। वह कोरोना जैसी गंभीर महामारी हलके में ले रही थी। आम दिनों की तरह सड़क पर घूमना फिरना चल रहा था। इस बीच पांच मरीजों के सामने आने पर कल दोपहर में कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव ने कफ्र्यू की घोषणा कर दी। सिर्फ सुबह ७ से दोपहर २ बजे तक दूध, सब्जी और किराने के सामान जैसी आवश्यक सामग्री खरीदने वालों को छूट दी गई।
इसके चलते आज सुबह ७ बजे से दूध की दुकानों पर कतार लगना शुरू हो गई। शहर भर की डेरियों में दूध लेने वाले बड़ी संख्या में पहुंचे, लेकिन सभी कायदे से थे। डेरी संचालकों ने दुकानों के सामने निर्धारित दूरी के लिए गोले बना दिए थे। साफ कह दिया था कि उसके अंदर ही खड़े रहना है। आम जनता भी बकायदा उसका पालन कर रही थी। संख्या ज्यादा होने पर लाईन दूसरी तरफ भी बनाई गई। इसके अलावा सब्जी व किराना की दुकानों पर भी इस प्रकार की पहल देखी गई। आज तो जनता का रूख भी बदला-बदला नजर आ रहा था। अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंतित दिखाई दिए, ताकि घातक बीमारी की चपेट में ना आ पाएं।
पुलिस ने शुरू की सख्ती कलेक्टर के आदेश के बाद डीआईजी रुचिवर्धन मिश्रा ने भी सख्ती के साफ संकेत दे दिए थे। उस पर सुबह से सक्रिय हुआ पुलिस के अमले ने रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया। सार्वजनिक स्थानों पर जहां भी झुंड बनाकर लोग नजर आए उनपर डंडे फटकारे गए।
इनको मिली है छूट कलेक्टर ने कफ्र्यू का आदेश जारी कर दिया जिसमें कुछ लोगों को छूट दी गई है। उसमें बुनियादी सेवा दे रहे कुछ लोगों को छूट दी गई है। इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट एवं सोशल मीडिया को पूरी तरह से छूट दे रखी है, जिसमें अखबार बांटने वाले हॉकर भी शामिल है।
इसमें सरकारी व निजी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टर व कर्मचारी, पुलिस बल, नगर निगम, कार्यपालक मजिस्ट्रेट, विद्युत मंडल, इंटरनेट व टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर, एंबुलेंस सेवा, लोक शांति हेतु कार्य कर रहे अधिकारी, आवश्यक वस्तुओं की होम डिलीवरी में कार्यरत कर्मचारी, दवा दुकान, समस्त प्रकार के ईंधन परिवहन के साधन एवं भंडारण डिपो, खाद्यान्न, दाल, खाद्य तेल तथा अन्य खाद्य सामग्री की निमार्ण इकाइयां, दवा, सैनिटाइजर, मास्क एवं चिकित्सकीय उपकरण एवं दवा में उपयोग लाई जा रही कच्ची सामग्री और इनकी निर्माण इकाइयों को छूट दी गई है।