बोरिग से हो रहा भ्रष्टाचार, बनेगा कमाई की जरिया, 100 रुपए में मिलेगा आवेदन
बोरिंग पर प्रतिबंध, तो आवेदन क्यों? कलेक्टोरेट हेल्पलाइन को सौंपा काम, बनेगा कमाई की जरिया, १०० रुपए में मिलेगा आवेदन

इंदौर. जिले में हुई औसत बारिश को देखते हुए सरकार ने सूखा घोषित कर दिया। इसके चलते कलेक्टर ने २० दिन पहले अशासकीय व निजी बोरिंग खनन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया। चौंकाने वाली बात ये है कि हाल ही में बोरिंग के आवेदन कलेक्टोरेट हेल्पलाइन में जमा कराने के आदेश जारी कर दिए गए। सवाल खड़े हो रहे हैं कि जब प्रतिबंध है, तो आवेदन का आदेश क्यों?
इस साल प्रदेश में बारिश कम हुई। इंदौर जिले में औसत से २८ प्रतिशत कम होने से भूजल स्तर नहीं बढ़ा। कई बोरिंगों की स्थिति अभी से खराब होने लगी है। कलेक्टर निशांत वरवड़े ने पेयजल संकट खड़ा होने की आशंका को देखते हुए २३ अक्टूबर को जिले को जल अभावग्रस्त घोषित कर दिया। साथ में मध्य प्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम १९८६ की धारा ३ के तहत अशासकीय व निजी बोरिंग खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया। अब पूरे जिले में कहीं भी बोरिंग नहीं होंगे।
हाल ही में नया आदेश भी जारी किया गया जो व्यवस्था से संबंधित था। इसमें बोरिंग खनन व आम्र्स लाइसेंस सफर का आवेदन अब कलेक्टर हेल्पलाइन पर जमा कराए जाने को कहा गया। पहले यह सीधे बाबू के पास जमा होते थे। अब १०० रुपए खर्च के साथ हेल्पलाइन में जमा कराना होंगे। आदेश में पूर्व एडीएम सुधीर कोचर के २२ मई २०१५ को दिए प्रस्ताव का हवाला दिया गया। कोचर ने व्यवस्था बदलने को कहा था। इस हिसाब से देखा जाए तो प्रशासन ने सिर्फ हेल्पलाइन की कमाई के लिए आवेदन लेने का काउंटर खोला।
लंबित हैं सैकड़ों आवेदन
गौरतलब है कि जिला प्रशासन की पेयजल शाखा में नए बोरिंग के आवेदन लिए जाते रहे हैं। पिछले दो साल में सैकड़ों की संख्या में आवेदन आए, जिनमें से बहुत कम लोगों को अनुमति मिली। नगर निगम से अभिमत लिया जाना होता है, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आता।
आसान नहीं है अनुमति लेना
कलेक्टर ने प्रतिबंध के आदेश में एक रास्ता रखा है, जिसमें विशेष परिस्थिति होने पर बोरिंग किया जा सकता है। कहा गया है कि पेयजल संकट खड़ा होने पर ही खनन की अनुमति दी जाएगी। अनुमति उस स्थिति में दी जाएगी, जब ग्राम में नल-जल योजना न हो या अपेक्षित स्थान से नजदीक कोई सार्वजनिक स्रोत १५० मीटर व्यास में हैंडपम्प व कुआं न हो। अनुमति देने से पहले देखा जाएगा कि नलकूप खनन से आसपास किसी जल स्रोत पर प्रभाव तो नहीं पड़ेगा। नगर निगम, पीएचई और एसडीओ की एनओसी लाना होगी।
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