केस १ – (आधार कार्ड में एडे्रस बदलने के नाम लगाई चपत )
कनाडि़या क्षेत्र में रहने वाले सचिन (परिवर्तित नाम) ने क्राइम ब्रांच में शिकायत की है। हाल ही में उन्होंने आधार कार्ड में पता बदलने के लिए इंटरनेट पर सर्च किया। यहां से उन्हें एक नंबर मिला। उक्त नंबर पर अज्ञात व्यक्ति से बात हुई। उसने मोबाइल पर एक लिंक भेजने की बात कही। जिसे सचिन को अपने मोबाइल से किसी अन्य मोबाइल नंबर पर भेजना होगी। ठग ने उन्हें टोकन जनरेट होने के बाद ऑनलाईन फार्म भरने को कहा। जिसमें उन्हें गुगल पे पिन नंबर भी भर दिया। ठग जैसा बताते वह लिंक खोल उसमें जानकारी भरते गए। आखिरी में ठग ने उन्हें दस रुपए टोकन भरने के बाद आधार कार्ड का पता बदल जाने की बात कही। इन सभी प्रक्रिया से गुजरने के बाद शिकायतकर्ता को पता चला कि उनके बैंक खाते से ठग ने ७८ हजार रुपए उड़ाए है। तब उन्हें पता चला ठग ने उनके बैंक खाते का यूपीआई जानकारी प्राप्त कर धोखाधड़ी की है।
शहर में रहने वाले विक्की (परिवर्तित नाम)ने क्राइम ब्रांच अफसर के समक्ष शिकायत की है। उन्होंने गूगल पर बस कंपनी को सर्च किया। ट्रेवल्स की साइट खुलते ही उसमें दर्ज मोबाइल नंबर को प्राप्त किया। उक्त नंबर पर ठग ने खुद का नाम राकेश बताया। उसने बताया की वह ट्रेवल्स कंपनी में कर्मचारी है। पीडि़त ने अधिकारी को बताया की फोन पर बात कर उन्होंने टिकिट बुक करना चाहा। तब राकेश ने उसे गुमराह कर यूपीआई के मैसेज फारवर्ड करवाए। अगले दिन उनके खाते से चार ट्रांजेक्शन में लाखों रुपए चले गए।
नेहा (परिवर्तित नाम) ने क्राइम ब्रांच में शिकायत की है। उन्होंने बताया की जॉब प्लेसमेंट के लिए उन्होंने १० अक्टूबर को ट्रोविट नामक साइट पर पेमेंट जमा किया। बाद में उन्हें पता चला कि उनके फ्री रिचार्ज यूपीआई एेप जो कि बैंक खाते से जुड़ा है। उसमें से २० हजार से अधिक राशि ठग ने उड़ा दी है। घटना के संबंध में सभी जानकारी उन्होंने पुलिस को दी है। इस तरह ठग लोगों को बना रहे अपना निशानाबैंकिंग फ्रॉड की जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि साइबर क्रिमिनल व ठग द्वारा इंटरनेट का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है। प्रतिष्ठित कंपनियों के हेल्पलाईन नंबर के बदले ठगोरे गुगल पर खुद का फर्जी नंबर सेव कर रहे है। जब कोई व्यक्ति इन प्रतिष्ठित कंपनी का नंबर गुगल पर सर्च करता है तो वे ठग के नंबर को कंपनी का नंबर मान उसे इस्तेमाल करते है। ठग रुपए वापस कराने के लिए बैंेक का रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर मैसेज फारवर्ड करने का कहता है। और फिर यूपीआई के माध्यम से लोगों के खाते से लाखों रुपए की सेंध लगा देता है।
– कोई भी हेल्पलाइन या हेल्पलाइन का नंबर इंटरनेट से लेने से बचे। कोशिश करें की उक्त कंपनी या बैंक की ऑफिशियल बेवसाइट या उनकी शाखा पहुंच संपर्क करें।
– यदि कोई व्यक्ति १० और पांच रुपए का पेमेंट करने के बाद ऑनलाईन प्रक्रिया आगे बढ़ाने की बात कह यूपीआई संबंधित गोपनीय जानकारी मांगे तो उसे सांझा न करें। ठग अधिकांश खुद को किसी फर्म, बैंक कर्मचारी या अधिकारी बताकर किसी समस्या का सामाधान करने का बोलता। इस दौरान वह विश्वास अर्जित कर यूपीआई पीन और पासवर्ड मांगे तो उसे नहीं बताएं।
– यदि अज्ञात व्यक्ति ग्राहक बन एडवांस पेमेंट यूपीआई पेमेंट एेप से भेजने के लिए रिक्वेस्ट भेजता है तो पहले तय कर लें की उक्त व्यक्ति ने रिक्वेस्ट पेमेंट प्राप्त या भेजने के लिए की है। इस बात का ध्यान रखा जाए की अज्ञात व्यक्ति के कहने पर बैंक में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से न तो डाउनलोड करें और न उसे किसी से शेयर करें। – यदि कोई ठग यूपीआई के माध्यम से ठगी करता है तो उसकी सूचना तुरंत पुलिस की हेल्पलाइन नंबर ७०४९१२४४४४, ७०४९१२४४४५