सेल्फ फाइनेंस विभागों से मिलने वाली फीस यूनिवर्सिटी की कमाई का बड़ा जरिया है। तक्षशिला परिसर स्थित विभागों के साथ-साथ आईईटी और स्कूल ऑफ फार्मेसी में बड़ी संख्या में छात्र स्कॉलरशिप लेकर पढ़ाई करते है। पहले स्कॉलरशिप की राशि विभागों में ही जमा होती थी। विभाग छात्रों से सिर्फ अंतर की राशि ही लेते थे। अब स्कॉलरशिप छात्रों के बैंक अकाउंट में जमा होने लगी। छात्रों को जब स्कॉलरशिप की राशि मिलती तो कुछ छात्र इसे विभाग में जमा कराने के बजाय निजी खर्चों के लिए इस्तेमाल कर लेते। फीस का तकाजा करने पर छात्र अलग-अलग बहाने बनाकर टाल देते। जैसे-तैसे परीक्षा देने का मौका मिलता तो बाकी फीस बकाया छोडक़र ही चले जाते। अब यूनिवर्सिटी ऐसे सभी छात्रों की सूची तैयार कर रही है। इन सभी को नोटिस जारी किए जाएंगे। निर्धारित अवधि में बकाया फीस जमा नहीं करने वालों से ब्याज भी वसूला जा सकता है।
नौकरी मिलने पर आती है याद स्कॉलरशिप हजम करने वालों में से कई छात्र तभी विभाग में संपर्क करते है जब उन्हें नौकरी मिलने पर रिजल्ट और डिग्री की जरूरत महसूस होती है। इनमें से भी कुछ छात्र तब भी बहाने बनाकर फीस जमा कराने में मोहलत मांगते है। हालांकि, किसी को भी नो ड्यूज के बगैर फाइनल मार्कशीट जारी नहीं होती।
———————– स्कॉलरशिप की राशि पढ़ाई करने के लिए दी जाती है। जिन छात्रों को स्कॉलरशिप मिलती है उनका दायित्व है कि वे स्कॉलरशिप मिलते ही फीस जमा कराएं। ये राशि निजी खर्चों के लिए नहीं है। सभी विभागों को ऐसे छात्रों की सूची बनाने के लिए कहा है जिनकी फीस बकाया है। इन्हें नोटिस जारी कराए जाएंगे।
– प्रो.नरेंद्र धाकड़, कुलपति