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यूनिवर्सिटी ने पांच गांवों को लिया गोद

locationइंदौरPublished: Jun 13, 2018 03:17:51 pm

सफाई का प्रचार करेगी

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यूनिवर्सिटी ने पांच गांवों को लिया गोद

इंदौर. देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी ने यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन) और राजभवन के निर्देशों का पालन करते हुए पांच गांव को गोद लिया। यूनिवर्सिटी के विभागों की टीम इन गांवों में समय-समय पर जाकर साफ-सफाई के प्रति जागरूकता बढ़ाएगी। सभी गांवों में टीबी के मरीजों को चिन्हित कर उनके खान-पान और इलाज की व्यवस्था भी कराई जाएगी।
कुलपति प्रो. नरेंद्र धाकड़ ने बताया, पहले चरण में गोद लिए पांच गांवों का जिम्मा पांच विभागों को दिया है। ये विभाग एनएसएस (राष्ट्रीय सेवा योजना) के मार्गदर्शन में अपनी भूमिका निभाएंगे। उमरीखेड़ा के लिए स्कूल ऑफ लॉ, बदरिया के लिए आईआईपीएस, रालामंडल के लिए स्कूल ऑफ एजुकेशन, बायग्राम के लिए स्कूल ऑफ फार्मेसी और जवारिया के लिए स्कूल ऑफ जर्नलिज्म की टीमें तैयार की जा रही हैं।
कुलपति के अनुसार ये टीमें गांवों में जाकर नुक्कड़ नाटक व अन्य गतिविधियों के जरिए सफाई को प्रेरित करेंगी। ग्रामीणों को गीले व सूखे कचरे का निपटान के तरीके समझाएंगे। सबसे महत्वपूर्ण काम गांवों में टीबी को जड़ से मिटाने का रहेगा। स्थानीय डिस्पेंसरी व अस्पतालों से टीबी मरीजों के आंकड़े जुटाकर मरीजों की देख-रेख का जिम्मा उठाना है। टीमें इन मरीजों के संपर्क में रहेगी। ये सुनिश्चित किया जाएगा कि उनके इलाज और खाने-पीने में किसी तरह की कमी न आए।
कॉपी में सही लिखे थे जवाब, जांचने वालों ने नंबर कम किए

देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी की जनसुनवाई में मूल्यांकन को लेकर असंतोष की शिकायतें पहुंच रही है। इस बार भी अलग-अलग कोर्स के विद्यार्थियों ने कॉपी जांचने में लापरवाही करने की शिकायतें कीं। एक छात्रा के दावे पर कुलपति ने मूल्यांकन केंद्र को कॉपी जंचवाने के निर्देश भी दिए। कुलपति प्रो. नरेंद्र धाकड़ व परीक्षा नियंत्रक प्रो. अशेष तिवारी ने शिकायतें सुनीं। बीएड की छात्रा पूजा ठाकुर ने आवेदन देते हुए बताया कि सही जवाब लिखने के बावजूद बहुत कम नंबर मिले हैं। ५ नंबर के सवाल के सही जवाब पर १ से डेढ़ नंबर ही दिया गया। छात्रा की शिकायत पर कुलपति ने मूल्यांकन केंद्र पर फोन कर कॉपी दिखवा को कहा है।
अंधेरे में सुनी शिकायतें: जनसुनवाई शुरू होते ही लाइट गुल हो गई। अंधेरा ज्यादा होने के कारण कुछ देर तक छात्रों को जनसुनवाई में नहीं जाने दिया गया। ज्यादा देर हुई तो कुलपति ने अंधेरे में ही मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में आवेदन लिए। तीन-चार आवेदन की सुनवाई के बाद लाइट आई।
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