पिछले बरस कोरोना की दूसरी लहर ने इंदौर को हिलाकर रख दिया था। ऐसा कोई दिन नहीं जाता था, जब बुरी खबरें नहीं आती थीं। कई परिवारों के तो दो या उससे अधिक सदस्य चल बसे। ऐसी भी स्थिति बनी कि कुछ परिवारों में कमाने वाला ही नहीं बचा। जैसेतैसे महिलाएं काम करके अपने बच्चों को पाल रही हैं। उनके लिए सरकार द्वारा दी जा रही सहायता राशि किसी बड़ी मदद से कम नहीं है। हालांकि राशि कम है, लेकिन विपरीत परिस्थितियों में परिवार का पालन-पोषण करने के लिए कुछ हद तक बहुत है। ऐसे परिवारों की मदद करने में इंदौर जिला प्रशासन जुटा हुआ है।
आए 7500 आवेदन, छंटनी के बाद हुए कम जिले में अब तक करीब 7500 आवेदन आए हैं। छंटनी करने के बाद खुलासा हुआ कि इसमें से 2000 तो डबल हैं। पिता के निधन पर मां और बेटे ने अलग-अलग आवेदन कर दिए। मां के निधन पर पिता व बेटे ने आवेदन कर दिए। बड़ी संख्या में ऐसे आवेदन भी हैं, जिनमें 4 लाख रुपए सहायता की बात सामने आ रही थी। उन पर काम नहीं हुआ तो पीडि़त परिवार ने दूसरा आवेदन भी कर दिया। सभी को छांटा गया। इसके अलावा 250 से अधिक आवेदन दूसरे जिलों के मृतकों के भी थे, जिनकी इलाज के दौरान इंदौर में मौत हुई थी, परिजन ने यहां आवेदन कर दिया। बाद में सरकार ने स्पष्ट किया कि आवेदन तो गृह जिले में ही लगेगा और सहायता भी वहीं से मिलेगी। इसके चलते उन्हें भी कम किया गया। कुल मिलाकर करीब साढ़े पांच हजार आवेदन बचे थे, जिसमें से 3500 परिवारों के खाते में अब तक 50-50 हजार राशि पहुंच चुकी है। उस हिसाब से 17.50 करोड़ रुपए जिला प्रशासन ने दे दिए।गौरतलब है कि अभी भी नियमित 5 से 15 के बीच में आवेदन आ रहे हैं। इन लोगों का तर्क है कि कैसे आवेदन किया जाए, इसकी जानकारी हमको अभी मिली।
अब बेटा-बेटी को मिलेगी मदद
कोरोना सहायता के आवेदनों में जिला प्रशासन ने बंटवारा कर लिया था। पहले चरण में पति या पत्नी के आवेदनों का निराकरण किया गया। पति की मौत पर पत्नी को और पत्नी की मौत पर पति को सहायता राशि दी गई। दूसरे चरण में बेटा-बेटी को रखा गया है। ऐसे करीब दो हजार आवेदन थे, जिनको सहायता राशि दी जाना शुरू हो गई है।
कोरोना सहायता के आवेदनों में जिला प्रशासन ने बंटवारा कर लिया था। पहले चरण में पति या पत्नी के आवेदनों का निराकरण किया गया। पति की मौत पर पत्नी को और पत्नी की मौत पर पति को सहायता राशि दी गई। दूसरे चरण में बेटा-बेटी को रखा गया है। ऐसे करीब दो हजार आवेदन थे, जिनको सहायता राशि दी जाना शुरू हो गई है।
शपथ पत्र लेकर सहायता
आवेदनों में कई ऐसे भी प्रकरण सामने आए हैं, जिसमें आरटीपीसीआर की रिपोर्ट नहीं मिल सकी या मृतक या परिजन का आधार कार्ड नहीं था। ऐसे सभी प्रकरणों की तहसीलदारों के माध्यम से जांच कराई गई। हालांकि उसमें से कोई भी फर्जी नहीं मिला। इसके बावजूद प्रशासन ने सतर्कता बरती और सहायता देने से पहले लेने वाले से शपथ पत्र लिया गया।
आवेदनों में कई ऐसे भी प्रकरण सामने आए हैं, जिसमें आरटीपीसीआर की रिपोर्ट नहीं मिल सकी या मृतक या परिजन का आधार कार्ड नहीं था। ऐसे सभी प्रकरणों की तहसीलदारों के माध्यम से जांच कराई गई। हालांकि उसमें से कोई भी फर्जी नहीं मिला। इसके बावजूद प्रशासन ने सतर्कता बरती और सहायता देने से पहले लेने वाले से शपथ पत्र लिया गया।