– पीथमपुर औद्योगिक संगठन के गौतम कोठारी ने कहा, सरकार ने मौके का लाभ नहीं लिया। फिलहाल सरकार को वचन निभाने में बड़ी मशक्कत करना होगी। सरकार की बड़ी चिंता घाटे को कम करने की है।
– सीए अमित दवे ने कहा, लेखानुदान में नजर आ रहा है कि जुलाई में सरकार नए कर लगा सकती है। लेखानुदान में पारदर्शिता नहीं बरती गई। निजी घोषणाओं को पूरा करने के लिए अलग से राशि की जुगाडऩा होगी।
– सामाजिक कार्यकर्ता विष्णु गुप्ता ने कहा, चुनाव को देखते हुए सोता था बजट में कुछ राहत मिलेगी। सरकार ने किसी तरह का खुलासा नहीं कर वोटर को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया।
– उद्योगपति विनय कालानी ने कहा, उद्योगों को खुश करने के लिए किसी तरह के पैसे की जरूरत नहीं है। जमीनों को फ्री होल्ड करने का निर्णय लेते और एक्सपोर्ट यूनिट को ट्रांसपोर्ट सब्सिडी प्रदान कर देते तो ही बात बन जाती।
– उद्योगपति प्रकोष्ठ के वरुण पोरवाल ने कहा, बजट लोकप्रियता नहीं लोकहित के लिए बनाना चाहिए। एमएसएमई की स्थिति खराब है। रोजगार आधारित सब्सिडी स्कीम बनानी थी। – मंडी व्यवसायी नंदकिशोर अग्रवाल ने कहा, चार महीने तक विभाग कैसे चलेंगे, यह तो बता दिया, लेकिन आम आदमी फायदे की कोई घोषणा नहीं की गई।
वित्तीय नियंत्रण नहीं किया तो घाटा बढ़ता जाएगा म प्र के वित्त मंत्री तरुण भनोट ने वर्ष-2019-20 के लिए पूर्ण बजट के स्थान पर चार माह के लिए लेखानुदान पेशकर 89438 करोड़ रुपए का अंतरिम बजट पेश किया। इसमें सबसे ज्यादा राशि किसानों के लिए रखी गई। युवा, मजदूर और कर्मचारी वर्ग को भी आकर्षित करने का प्रयास किया है। हालांकि कोई नई व्यवस्था नहीं दी गई और न ही कोई नया कर लगाया है। पूर्ण बजट जुलाई में मानसून सत्र के दौरान पेश किया जाएगा। राज्य सरकार भारी वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही है। किसान कर्ज माफी की वजह से सरकार का खर्च बहुत ज्यादा बढ़ गया है। सरकार व निगम मंडलों पर 2 लाख 15 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। सरकार का कहना है, कर्ज लेना एक निरंतर प्रकिया है। अभी और कर्ज लिया जाएगा। यह नियम कानून के दायरे में है। भारी कर्ज से दबी सरकार ने फिलहाल बड़ी नई योजनाओं को स्थगित रखते हुए वित्तीय बोझ को लोकसभा चुनाव तक टाल दिया है। प्रदेश के अंतरिम बजट की सबसे बड़ी चुनौती वित्तीय घाटा बढऩे से संबंधित है। यह जरूरी होगा कि सरकार आगामी चार माह तक विभागों को आवंटित बजट और योजनाओं पर वित्तीय नियंत्रण करे।
– जयंतीलाल भंडारी, अर्थशास्त्री