8500 का चैक, 80 पेशी तारीख, महज 2 गवाह और 17 साल बाद आया फैसला
- 12,700 रुपए हर्जाने की सजा
इंदौर
Published: March 04, 2022 04:05:57 pm
विकास मिश्रा. इंदौर. जिला कोर्ट में 8500 रुपए के चेक बाउंस मामले में 17 साल बाद फैसला आया है। इस दौरान 80 पेशी तारीखों के बाद 2 गवाहों के बयान हुए। कोर्ट ने आरोपी पक्ष पर चेक राशि सहित 12 हजार 700 रुपए का हर्जाना लगाया है। इसके साथ ही परिवाद शुल्क के 5 हजार रुपए भी चुकाना होगा। मामले में पीडि़त पक्ष को न्याय मिल गया है, लेकिन इतने विलंब से मिला है कि शायद अब उस चेक राशि का वह महत्व नहीं बचा जो 17 साल पहले था। इन्हीं कारणों से चेक बाउंस के केसों से जुड़े नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 में बदलाव को लेकर लगातार आवाज उठ रही है। मिलती रही तारीख पर तारीखएडवोकेट आकाश शर्मा के मुताबिक फाइनेंस कंपनी मेसर्स हरमिंदर फिनलिज प्राइवेट लिमिटेड के पवन कुमार मिश्रा ने दिलीप सितौले को 8 हजार 500 रुपए उधार दिए थे। पैसे चुकाने के लिए 11 जुलाई 2005 को दिलीप ने चेक दिया जो बाउंस हो गया। इसके बाद मिश्रा ने 23 जुलाई 2005 को कानूनी नोटिस भेजा था। उसे नहीं स्वीकार करने पर 31 अगस्त 2005 को चेक बाउंस का केस लगाया। केस में वादी और परिवादी के रूप में महज दो लोगों की गवाही होना थी, लेकिन इसमें पिछले 17 साल में 80 तारीखें लगी। विशेष न्यायाधीश भूपेंद्र आर्य की कोर्ट ने पिछले दिनों केस पर फैसला सुनाया।सुप्रीम कोर्ट ने एक्ट बदलने के लिए बनाई कमेटीचेक बाउंस केसों के निराकृत होने की धीमी चाल और दोषियों को मिलने वाली सजा के कम होने के चलते नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 में बदलाव की तैयारी की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के जज की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय विधि विशेषज्ञों की कमेटी का गठन किया गया है। यह कमेटी इस संबंध में देशभर से आए सुझावों के आधार पर एक्ट में बदलाव का प्रस्ताव बनाएगी।देशभर में 45 लाख केस पेंडिंग कोरोना काल में बिगड़े आर्थिक हालातों के चलते चेक बाउंस के केसों में इजाफा हुआ है। लॉ प्रोफेसर पंकज वाधवानी ने बताया, इस समय देश के न्यायालयों में चेक बाउंस के करीब 45 लाख केस विचाराधीन हैं।

8500 का चैक, 80 पेशी तारीख, महज 2 गवाह और 17 साल बाद आया फैसला
पत्रिका डेली न्यूज़लेटर
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