scriptहर घर में रहती है आयुर्वेदिक औषधी, जरूरत पडऩे पर करें इस्तमाल | Dhanteras 25 October 2019 Aayurved Diwas | Patrika News

हर घर में रहती है आयुर्वेदिक औषधी, जरूरत पडऩे पर करें इस्तमाल

locationइंदौरPublished: Oct 18, 2019 11:05:42 am

Submitted by:

Lakhan Sharma

– आयुर्वेद दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम होंगे आयोजित, बताएंगे विशेषज्ञ

हर घर में रहती है आयुर्वेदिक औषधी, जरूरत पडऩे पर करें इस्तमाल

हर घर में रहती है आयुर्वेदिक औषधी, जरूरत पडऩे पर करें इस्तमाल

लखन शर्मा, इंदौर। धनवंतरी जयंती धनतेरस को आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इसके चलते शहर के शासकीय आष्टांग आयुर्वेद कॉलेज में पुरे सप्ताह अलग अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिसमें विशेषज्ञ अपने घरों में रोज इस्तमाल होने वाली आयुर्वेदिक औषधियों का सही इस्तेमाल करना बताएंगे।
आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. बाबुल ताम्रकार ने बताया की भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद को जन जन तक पहुंचाने के लिए एवं अधिक से अधिक लोग इसका उपयोग कर सकें एवं स्वस्थ रह सकें इस उद्देश्य से आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर शासकीय अष्टांग आयुर्वेद महाविद्यालय, लोकमान्य नगर में भी कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कॉलेज में कल १९ अक्टूबर को कैंसर विषय पर एक संगोष्टी का आयोजन किया जाएगा। जिसमें विशेषज्ञों द्वारा आयुर्वेद से कैंसर के इलाज के बारे में बताया जाएगा। २२ अक्टूबर को कॉलेज में दीर्घायू के लिए आयुर्वेद विषय पर विशेषज्ञों द्वारा बताया जाएगा। लोगों को जागरूक करने के लिए विशेषज्ञ अपने अनुभव व इलाज की पद्धति के बारे में लोगों को बताएंगे। कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. अखिलेश भार्गव ने बताया की आमतौर पर हर घर में आयुर्वेदिक औषधियां जैसे हल्दी, आंवला, तुलसी, गुड़ सहित अन्य हर दिन उपयोग में लाई जाती है। लेकिन बीमारियों के होने पर या बीमारियों से बचने के लिए इन औषधियों का इस्तमाल किस तरह से किया जा सकता है इस बारे में विशेषज्ञ बताएंगे।


– प्रदर्शनी से बताएंगे आयुर्वेद का इतिहास
25 अक्टूबर को धनतेरस व धनवंतरी जयंती पर एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जाएगा। जिसमें हजारों सालों पहले लिखी गई आयुर्वेद की संहिताओं को प्रदर्शित किया जाएगा। इसमें हमने शहर के लोगों को आमंत्रित किया है ताकि वे आंए और आयुर्वेद के बारे में जान सकें। इसी दिन शहर व ग्रामीण इलाकों में कैंप भी आयोजित किए जाएंगे। प्राचार्य डॉ. ताम्रकार बताते हैं की पिछले कुछ सालों में लोगों का रूझान एक बार फिर आयुर्वेद की तरफ बढ़ रहा है।

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