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डीजल की कीमतों ने बिगाड़ा निगम का बजट

locationइंदौरPublished: Oct 22, 2021 05:33:23 pm

Submitted by:

jay dwivedi

हर माह 50 लाख का खर्च बढ़ा: 40 करोड़ का है बजट, लेकिन इससे ज्यादा खर्चा होने की आशंका

डीजल की कीमतों ने बिगाड़ा निगम का बजट

डीजल की कीमतों ने बिगाड़ा निगम का बजट

इंदौर. पेेट्रोल-डीजल के बढ़ते भावों के कारण न सिर्फ आम आदमी बल्कि नगर निगम का बजट भी गड़बड़ा गया है। नगर निगम ने गाडिय़ों के ईंधन के लिए उस समय के डीजल के भावों को देखते हुए वर्ष 2021-22 के बजट में 40 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे, लेकिन लगातार हो रही मूल्यवृद्धि के कारण अब यह खर्च इस राशि से काफी ज्यादा होता नजर आ रहा है।
नगर निगम के बजट के लिए जनवरी में निगम की वर्कशॉप शाखा ने पिछले साल लगी राशि को आधार बनाते हुए नया बजट प्रस्तावित किया था। पिछले साल नगर निगम के 36 करोड़ रुपए गाडिय़ों के पेट्रोल-डीजल पर खर्च हुए थे। नगर निगम ने उस समय कीमतों के बढऩे की आशंका के चलते 4 करोड़ रुपए और जोड़ते हुए 40 करोड़ रुपए सालाना का बजट तैयार किया था। लेकिन हालत ये है कि पिछले तीन माह से डीजल के बढ़े भावों ने नगर निगम की हालत खराब कर दी है। नगर निगम को रोजाना औसतन 7000 लीटर डीजल और लगभग 150 लीटर पेट्रोल लगता है। चूंकी नगर निगम ने अपने पेट्रोल पंप खुद स्थापित कर लिए हैं, ऐसे में नगर निगम सीधे कंपनी से ही डीजल खरीद लेती है, जिसके कारण निगम को बाजार भाव से लगभग 10 रुपए कम का खर्चा आता है। लेकिन इसके बाद भी नगर निगम को डीजल लगभग 93 रुपए के भाव से मिल रहा है। जबकि नगर निगम ने लगभग 80 रुपए के भाव से इसका खर्चा जोड़ा था।
नगर निगम औसतन 3 करोड़ रुपए तक हर माह डीजल और पेट्रोल पर खर्च करता रहा है। लेकिन अब डीजल की दरें बढऩे के बाद नगर निगम का खर्च भी लगभग 50 लाख रुपए बढ़ गया है। पिछले कुछ समय से नगर निगम का प्रतिमाह का खर्च लगभग 3.50 करोड़ के आसपास आ रहा है जो सालाना लगभग 42 करोड़ से भी ज्यादा हो सकता है। यह तय बजट से 2 करोड़ रुपए ज्यादा होगा।
1300 गाडिय़ों का है काफीला

न गर निगम के पास लगभग 1300 गाडिय़ों का काफीला है। जिसमें 700 तो कचरा गाडिय़ां ही शामिल हैं। वहीं 400 छोटी गाडिय़ों के अलावा 300 पोकलेन, जेसीबी, ट्राले, टैंकर, ट्रेक्टर सहित अन्य वाहन शामिल हैं। इसके अलावा 1 लीटर पेट्रोल रोजाना दरोगा और सहायक दरोगाओं को दिया जाता है।
बढ़ा स्थापना खर्च

निगम के 80 करोड़ रुपए हर माह स्थापना पर व्यय होते हैं। जिसमें वेतन, पेंशन, बिल, दफ्तरों में लगने वाले अन्य खर्चें शामिल हैं। लेकिन पेट्रोल-डीजल के कारण इसमें भी बढ़ोतरी हो गई है। वर्तमान में ये खर्च लगभग 81 करोड़ रुपए हो गया है।
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