इंदौर

बड़ी खबर : हवा में ‘जहर’ घोल गए वॉटरप्रूफ रावण, लोगों में फैल सकता है कैंसर

बुराई का प्रतीक बढ़ा गया बुराइयां
प्लास्टिक कोटेड रावणों के जलने से निकला जहरीला धुआं
वातावरण में बढ़ी डायऑक्सिन और फ्यूरॉन जैसी गैस

इंदौरOct 09, 2019 / 02:54 pm

हुसैन अली

बड़ी खबर : हवा में ‘जहर’ घोल गए वॉटरप्रूफ रावण, लोगों में फैल सकता है कैंसर

संदीप पारे @ इंदौर. स्वच्छता में नंबर वन शहर प्लास्टिक मुक्त श्रेणी में भी पहले क्रम पर आने के प्रयास में जुटा है। सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध की दिशा में आगे बढ़ रहा है। मंगलवार को दशहरे पर बारिश की चिंता में सैकड़ों वाटरप्रूफ ‘प्लास्टिकासुर’ रावण बनाए गए, लेकिन यह रावण करेला ऊपर से नीम चढ़ा साबित हुआ। प्लास्टिक कोटेड रावण के दहन से दोगुना प्रदूषण फैला। साथ ही पटाखे और प्लास्टिक के पुतले जलाने से विषैली डायऑक्सिन और फ्यूरॉन गैसेस की बुराइयां आबोहवा में बढ़ गई। ये गैसेस हवा में बढऩे से श्वसन तंत्र प्रभावित होती है। इससे कैंसर का खतरा भी कई गुना बढ़ गया है।
विजयादशमी पर्व पर रावण के पुतले और मुखौटों को पानी से बचाने के लिए प्लास्टिक का धड़ल्ले से उपयोग किया गया। दशहरा मैदान समेत विभिन्न समितियों ने 110 फुट के रावण के पुतलों का दहन किया। साथ ही शहर के गली-मोहल्ला में प्लास्टिक कोटेड छोट-बड़े रावण के पुतलों के दहन से बड़ी मात्रा में जहरीली गैसेस वातावरण में धुएं के साथ फैल गई। हर साल रावण दहन के दौरान पटाखों से निकली नॉक्स गैसेज और हैवी मेटल पार्टिकल्स प्रदूषण फैलाते हैं। इस वर्ष प्लास्टिक मिक्स होने से डायऑक्सिन-फ्यूरॉन गैसेस और पॉलीसायक्लिक आर्गेनिक मैटर भी हवा में घुल गए।
बड़ी खबर : हवा में ‘जहर’ घोल गए वॉटरप्रूफ रावण, लोगों में फैल सकता है कैंसर
कैंसर तक का खतरा

पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है, शहर के गली-मोहल्लों के साथ कई स्थानों पर रावण दहन से वातावरण में धुएं के साथ गैस के कणीय पदार्थ घुल गए। ये इतने खतरनाक हैं कि कैंसर का भी कारण बन सकते हैं। इनका असर भी अधिक समय तक रहता है। श्वसन तंत्र के साथ अन्य अंगों को प्रभावित करते हैं। खांसी, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, लंबे समय तक डायऑक्सिन गैस के सम्पर्क में रहने से कैंसर का खतरा रहता है। ओज़ोन परत को नुकसान होता है।
प्लास्टिक कोटेड ‘रावण’

रावण के पुतलों को बारिश से बचाने और पटाखों को सीलन से दूर रखने के लिए प्लास्टिक कोटेड किया गया। पारदर्शी फिल्म का चोला लपेटा गया। कुछ आयोजकों ने फ्लैक्स तो कुछ ने प्लास्टिक मटेरियल का उपयोग तक किया।
इन जहरीले तत्वों ने बिगाड़ी आबोहवा

नाइट्रोजन, सल्फर डायऑक्साइड, वॉलेटाइल आर्गेनिक केमिकल्स, पॉली साइक्लिक आर्गेनिक मैटर (ठोस अपशिष्ट) डाइऑक्सिन और फ्यूरॉन गैसेस। रंगीन आतिशबाजी के चलते हैवी मेटल्स, एल्यूमीनियम के ऑक्साइड व सल्फर, पोटेशियम जैसे तत्व हवा में घुले।
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एक्सपर्ट व्यू : प्लास्टिक के पुतले छोड़ रहे विषैली गैस
हमारे देश में रावण दहन सामूहिक उत्सव है। बुराई पर अच्छाई की जीत की आस्था से जुड़ा त्योहार शहर भी हर्षोल्लास से मनाता है। समय के साथ परंपरा के निर्वाह करने के तरीकों में बदलाव आ रहा है। इंदौर समेत प्रदेश और देश के लगभग हर शहर के गली-मोहल्लों में रावण दहन बच्चे-बड़े सभी करने लगे हैं। पहले रावण कागज या ताव (पतंग बनाने का कागज) का बनाते थे, लेकिन अब आर्कषक बनाने की होड़ में फ्लैक्स व प्लास्टिक मटेरियल का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है। प्लास्टिक मटेरियलयुक्त रावण के पुतलों के दहन से विषैली गैसें फैल रही हैं, जिससे आबोहवा दूषित हो रही है। इस पर सभी को सोचने की जरूरत है।
– गुणवंत जोशी, पर्यावरण वैज्ञानिक

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