दिल्ली के वीआरवन संस्था के ११ कलाकारों ने अपनी छह प्रस्तुतियों से दर्शकों को अचंभित कर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत रामायण पर प्रस्तुति के साथ हुई। कलाकारों ने मंच पर सीता हरण, हनुमान का सीता को संदेश और राम द्वारा रावण के वध की कहानी को बेहतरीन ढंग से पेश किया। व्हील चेयर पर हनुमान का सीता माता के लिए अशोक वाटिका में संदेश लेकर जाना अलग ही प्रभाव पैदा करता है। इसकी सबसे खास बात थी इन कलाकारों का चैरियट फॉर्म के साथ प्रस्तुति देना। इसके अलावा शिव तांडव और क्लासिकल डांस भरतनाट्यम में गणेश वंदना प्रस्तुत की। इसके बाद नौ लडक़ो और दो लड़कियों के ग्रुप ने मिलकर भरतनाट्यम पर जुगलबंदी पेश की।
कृष्ण और शिव का रूप : कलाकार गीता के कृष्ण और अर्जुन के बीच हुए संवाद को भी अनोखे रूप में दर्शकों के सामने लाए। कृष्ण और अर्जुन संवाद की शुरुआत गीता के श्लोक यदा-यदा हि धर्मस्य श्लोक से हुई। इसमें कृष्ण की धर्म के लिए युद्ध की बात को दिखाया। कलाकारों के चेहरे के हाव-भाव विशेष प्रभाव पैदा करते हैं। अंत में भगवान कृष्ण के सहस्त्र अवतार का प्रस्तुतिकरण आश्चर्यचकित कर देने वाला था। एक प्रस्तुति में मां दुर्गा द्वारा महिषासुर वध की कहानी का वर्णन किया गया। आखिरी प्रस्तुति में एक्रोबैटिक योगा फॉर्म में देशभक्ति से परिपूर्ण वंदे मातरम की प्रस्तुति दी। सभी प्रस्तुतियों में डायरेक्शन अल्का शाह और कोरियोग्राफी गुलशन कुमार की रही।
दया नहीं अवसर चाहिए
संस्था के डायरेक्टर और फाउंडर हसनैन बताते हैं कि लोग जब तक हमें परफॉर्मेंस देते हुए नहीं देखते हैं तब उनका दया भाव हमारे साथ जुड़ा होता है। उन्हें लगता है कि हम लाचार है और जितना कर पा रहे हैं वो ही अच्छा है, लेकिन हम लोगों को दिखाना चाहते है कि अगर ईश्वर ने हमसे कुछ छीना है तो बहुत कुछ दिया है। ये एक ऐसी लड़ाई है जिसमें हमे दया भाव को रिस्पेक्ट में बदलना है।वे बताते है कि जब हम मंच पर शिव, कृष्ण, मां दुर्गा और राम के विविध रूपों को साकार करते है तो कुछ लोग हमारे पैर छूते है और क हते है आपने सच में ईश्वर का नया रूप हमारे सामने लाए हैं। हमारी कुछ परफॉर्मेंस देखकर जब लोगों के आंखों से आंसू आते हैं तो एक सच्ची खुशी महसूस होती है कि हमने सच में कुछ हासिल किया है।
संस्था के डायरेक्टर और फाउंडर हसनैन बताते हैं कि लोग जब तक हमें परफॉर्मेंस देते हुए नहीं देखते हैं तब उनका दया भाव हमारे साथ जुड़ा होता है। उन्हें लगता है कि हम लाचार है और जितना कर पा रहे हैं वो ही अच्छा है, लेकिन हम लोगों को दिखाना चाहते है कि अगर ईश्वर ने हमसे कुछ छीना है तो बहुत कुछ दिया है। ये एक ऐसी लड़ाई है जिसमें हमे दया भाव को रिस्पेक्ट में बदलना है।वे बताते है कि जब हम मंच पर शिव, कृष्ण, मां दुर्गा और राम के विविध रूपों को साकार करते है तो कुछ लोग हमारे पैर छूते है और क हते है आपने सच में ईश्वर का नया रूप हमारे सामने लाए हैं। हमारी कुछ परफॉर्मेंस देखकर जब लोगों के आंखों से आंसू आते हैं तो एक सच्ची खुशी महसूस होती है कि हमने सच में कुछ हासिल किया है।