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आजादी के सात दशक बाद भी तेरा श्मशान, मेरा श्मशान!

locationइंदौरPublished: Oct 12, 2021 11:12:55 pm

राजनीतिक रैलियों में भले ही दलित उत्थान की बातों पर जोरशोर से तालियां बजती हों, मंच से सबकुछ ठीक होने की बात की जाती हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है…

discrimination against dalits

अगस्त 2020 की महू के बजरंगपुरा की तस्वीर, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। 95 साल के नानूराम का निधन हुआ तो तिरपाल लगाकर शव का अंतिम संस्कार करना पड़ा था। बलाई समाज के रिसित मालवीय के मुताबिक, यहां प्रशासन ने श्मशान घाट बनाने के लिए 3 लाख रुपए आवंटित किए थे लेकिन व्यवस्था नहीं की गई।

अभिषेक श्रीवास्तव

इंदौर नगर निगम सीमा में स्थित कनाडिय़ा गांव के रमेश (परिवर्तित नाम) कहते हैं कि हम सब एक हैं, पर €या वाकई यह सत्य है। श्मशान तक बंटे हुए हैं। दलितों के लिए अलग स्थान निर्धारित है और सामान्य के लिए अलग। रमेश की इस बात में कहीं न कहीं दर्द भी छलक रहा था।

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IMAGE CREDIT: रविंद्र सेठिया
दरअसल, राजनीतिक रैलियों में भले ही दलित उत्थान की बातों पर जोरशोर से तालियां बजती हों, मंच से सबकुछ ठीक होने की बात की जाती हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सबकुछ सामान्य दिखने के बाद भी धरातल पर “तेरा-मेरा” जारी है। हालत यह है कि इंदौर के कई गांवों में श्मशान तक बंटे हुए हैं। कई जगहों पर इसको लेकर हाल के वर्षों में विवाद की स्थिति भी बनी। पिछले साल इसी इंदौर की एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें भारी बारिश में त्रिपाल के नीचे कुछ लोग अंतिम संस्कार कर रहे थे। इस तस्वीर ने समाज को झकझोरा भी था। यह स्थिति जब इंदौर जैसे जिले की है, तो प्रदेश के अन्य जिलों की हालत का अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं।
आंकड़ों में बढ़ी दलित उत्पीड़न की घटनाएं
आंकड़ों की बात करें तो इंदौर में दलित उत्पीड़न की घटनाएं भी बढ़ी हैं। 2020 में इंदौर जिले में 90 मामले उत्पीड़न के दर्ज हुए थे, जबकि 2021 में अबतक 115 केस रजिस्टर हुए हैं।

कुछ घटनाएं
दलित की रोकी बारात, मंदिर में भी नहीं घुसने दिया ः जुलाई 2021 में मानपुर थाना क्षेत्र के चैनपूरा गांव में दलित की बारात निकल रही थी। बाराती उत्साह के साथ नाचते-गाते ओमप्रकाश को ब्याहने जा रहे थे। तभी बारात को क्षेत्र के दंबंगों ने घेर लिया। बारात के आगे गाडि़यां खड़ी करते हुए आगे जाने से मना कर दिया। मुक्तिधाम को लेकर भी यहां विवाद की स्थिति रहती है।

शवयात्रा अलग-अलग रास्ते से निकलती ः दौलताबाद में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। यहां दलित शवयात्रा अलग रास्ते से निकालते हैं। अक्सर विवाद की सूचनाएं भी आती रहती हैं।

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आर्टिकल 14 का उल्लंघन
भारतीय संविधान ने सभी नागरिकों को समानता का अधिकार प्रदान किया है। वरिष्ठ अधिवक्ता विनय सराफ कहते हैं कि अनुच्छेद 14 में सभी को समानता का अधिकार दिया गया है। हम किसी से उसकी जाति, धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते।
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