scriptपॉपकॉर्न के बहाने देश और समाज पर चर्चा | Discussion on country and society under the pretext of popcorn | Patrika News

पॉपकॉर्न के बहाने देश और समाज पर चर्चा

locationइंदौरPublished: Aug 08, 2019 01:29:29 pm

एकल नाटक पॉपकॉर्न का मंचन

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पॉपकॉर्न के बहाने देश और समाज पर चर्चा

इंदौर. मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय की अध्ययन अनुदान योजना के तहत युवा रंगकर्मी सिद्धार्थ अवस्थी ने एकल नाटक पॉपकॉर्न का मंचन किया। आशीष पाठक के लिखे नाटक के निर्देशक भी अवस्थी हैं। नाटक का मुख्य पात्र ट्रेनों में पॉपकॉर्न बेचने वाला युवक रूपक है।

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वह पॉपकॉर्न जरूर बेचता है पर वह समाजशास्त्र में एमए है। सेना में भर्ती के लिए कोशिश करता है पर अत्यधिक भीड़ आ जाने से भर्ती की तारीख एक महीना आगे बढ़ जाती है। बेरोजगार रूपक पॉपकॉर्न बेचने लगता है। पॉपकॉर्न बेचते हुए जो अनुभव उसे होते हैं, वही नाटक का कथ्य है।

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रूपक पढ़ा- लिखा है इसलिए वह देश, दुनिया और समाज पसर गहरी टिप्पणियां करता चलता है। शुरुआत में उसे ट्रेन में सेना के जवानों का दुव्र्यवहा झेलना पड़ता है। सैनिकों द्वारा अकारण अपमानित किए जाने से आहत रूपक सेना में जाने का सपना ही छोड़ देता है। वह ग्लोबलाइजेशन, घाटे की अर्थव्यवस्था, लोन लेने की प्रवृत्ति, लोन की किस्तों से परेशान लोगों सहित कई विषयों पर अपनी बात रखता है।

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सिद्धार्थ अवस्थी ने आंगिक और वाचिक अभिनय के जरिए ट्रेन मे हिलते हुए पैकेट बेचने, छुट्टे पैसों को लेकर बहस, टे्रन में बैठे लोगों के हाव-भाव आदि को रोचक तरीके से व्यक्त किया है। पिता के साथ यात्रा कर रही युवती की मोबाइल फोन पर बातचीत को उन्होंने बहुत अच्छी तरह व्यक्त किया।

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इसी तरह प्लेटफॉर्म पर घूमती पागल बच्ची के हाव-भाव और उसके यौन शोषण का प्रसंग भी उन्होंने अभिनय से जीवंत बनाया। बीच में गाने और नृत्य के जरिए नाटक को रोचक बनाने की कोशिश की गई पर वह नाकाम रही क्योंकि कहानी सशक्त नहीं है और संवाद भी साधारण हैं। नाटक को कुछ एडिट किया जाता तो बेहतर होता।

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