शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा और भगवान विष्णु का पूजन, व्रत, कथा की जाती है। प्राचीन समय से शरद ऋतु, पूर्णाकार चंद्रमा, संसार भर में उत्सव का माहौल माना जाता है। क्योंकि चंद्रमा की कलाएं इस समय परिपूर्ण होती है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को खीर का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस दिन श्री सूक्त, लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करके हवन करना चाहिए। पौराणिक विधी से व्रत करने से माता लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं। धन-धान्य, मान-प्रतिष्ठा और वैभव प्रदान करती है। इस दिन इंद्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी पुष्प गंध आदि से से पूजा करनी चाहिए। उसके बाद पूरी शुद्धता से खीर का प्रसाद बनाना चाहिए। ब्राह्मणों को भी खीर का प्रसाद बांटना चाहिए। दान-दक्षिणा के साथ पूजन-अर्चन करना चाहिए। लक्ष्मी और वैभव की प्राप्ति निश्चित तौर पर पाई जा सकती है। इस दिन जागरण करने वाले की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। खीर के सेवन से रोगी रोगमुक्त होता है।