बैठक में सरकारी डॉक्टरों को भी बुलाया गया था, वे संघवी के आते ही कन्नी काटने लगे, क्योंकि उन्हें बताया ही नहीं गया था कि इसमें संघवी भी समर्थन मांगने पहुंचेंगे। आचार संहिता लगी होने के चलते पहले ही कई सरकारी डॉक्टर इस बैठक में नहीं पहुंचे थे, जो यहां पहुंचे, वे भी फोटो से दूर रहे। इसमें डॉक्टरों ने कई मुद्दे स्वास्थ्य मंत्री के सामने रखे। खास बात रही कि मीडिया को इस बैठक से दूर रखा गया। यहां पहुंचे पंकज संघवी ने कहा कि मैं आपसे सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि मेरी वजह से किसी को परेशानी नहीं होगी।
अधिकारी का दिमाग ठीक कर दूंगा
डॉक्टरों की परेशानी सुनने के बाद स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा की 38 बिंदू पर हम काम कर रहे हैं। 15 सालों से 1865 डॉक्टरों की नियुक्ति की एक फाईल पड़ी थी। जिसमें कुछ बाधाएं थी। हमने सबसे पहले उसे दूर की। 24 मई के बाद में इसी जगह पर अधिकारियों को बुलाउंगा। हम फिर बैठेंगे और समस्याओं का निदान करेंगे। प्रदुषण बोर्ड को लेकर सबकी पीड़ा है। मैं उस व्यक्ति का नाम लेता हूं। गुप्ता जी है, कल ही बात करूंगा। एक अधिकारी सरकार को बदनाम करे नहीं होने दूंगा। मेरे शरीर का आप इलाज करते हो उसके दिमाग का इलाज मैं करूंगा।
बैठक में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, नर्सिंग होम एसोसिएशन, मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन, गर्वमेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन सहित अन्य चिकित्सा संगठनों के पदाधिकारियों और डॉक्टरों को बुलाया गया था। यहां मौजूद पूर्व कुलपति और आईएमए इंदौर के अध्यक्ष रह चुके डॉ. भरत छपरवाल ने कहा कि आईएमए बिल्डिंग की जमीन को लेकर बार-बार नोटिस भेज दिए जाते हैं, यह हमें नियमानुसार दी गई है। कलेक्टर ओपी रावत के समय यह मिली थी। ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी है। आयुष्मान योजना के बारे में बोले कि डॉक्टर और मरीज दोनों परेशान हैं। आयुष्मान योजना में इलाज करने पर रुपए नहीं मिल रहे हैं। आज कैंसर अस्पताल को सबसे ज्यादा जरूरत है। कैंसर मरीज की बहुत हालत खराब हो जाती है। जो अभी बना है, वह जनसहयोग से बना है। सुना था कि बिल्डिंग तोडक़र नई बनाएंगे। बिल्डिंग तोडऩा सिर्फ पैसे कमाने के लिए है, उसी को बेहतर किया जा सकता है।
तीन साल में डॉक्टर कैसे ब्रिज कोर्स पर सवाल उठाते हुए वे बोले कि कैसे इस तरह के ब्रिज कोर्स कर दिया कि तीन साल में डॉक्टर बन जाओ। डेंटल के बाद धीरे-धीरे सभी मांगने लगेंगे। स्टेट की हेल्थ पॅालिसी बनाना आवश्यक है। इसके अलावा अलग-अलग डॉक्टरों ने कई मुद्दे रखे। बताया गया कि सरकार की जिम्मेदारी है हर नागरिक को मुफ्त स्वास्थ्य उपलब्ध हो, यह क्यों नहीं हो पा रहा है। येलो कार्ड व्यवस्था लागू हो जिसमें सिंगल विंडो से सारी अनुमति मिल जाए। प्रदूषण बोर्ड से परेशान हैं। अस्पताल में जनरेटर के ऑइल का पैसा ले रहे हैं, जबकि ऑइल कभी लेकर नहीं गए। शादी-ब्याह में चलता है वहां नहीं लेते, अस्पताल से ले रहे हैं। मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन की तरफ से मुद्दा उठा कि विधानसभा चुनाव के वचनपत्र में वादा था वेतनमान और उनकी आगे बढऩे की पॉलिसी का। विधानसभा से लोकसभा में आ गए, तीन महीने में दूर करने की बात थी, नहीं हुआ। ६ से ७ नए कॉलेज खुल गए, चार और खुलने वाले हैं।
15 हजार सरकारी डॉक्टरों की जरूरत शासकीय डॉक्टरों की तरफ से मुद्दा उठा की मप्र शासकीय चिकित्सकों को भी सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा नहीं है। 7 हजार 200 पद स्वीकृत है जो 1980 की जनसंख्या के हियबस से। आज 15 हजार होना चाहिए 3800 है। हर डॉक्टर 4 गुना काम कर रहा है, जबकि वेतन केंद्र से 25 प्रतिशत ही मिल रहा है। आपके वचन पत्र के वादे जल्द से जल्द पुरे किए जाएं। अन्य डॉक्टर्स ने कहा कि मेडीक्लेम वालों ने 2015 में जो रेट दिए थे उससे 30 प्रतिशत कम कर अपनी एसोसिएशन बना ली। अब इसमें हमारी आय कम हो गई, खर्च बढ़ गए हैं। एमटीपी किट दी जाती है, डॉक्टर्स के लिए बहुत निमय है। यही दवाईयां मेडिकल दुकानों पर खुलेआम मिल रही है। महिलाओ ंकी जान जोखिम में जाती है। हम टीएनसी भी नहीं कर सकते। 200 फर्जी डॉक्टरों की सूची सौंपी थी 10 पर भी कार्रवाई नहीं हुई। कलेक्टर सीएमएचओ के पास मौजुद है। इन पर कार्रवाई होना चाहिए। प्रदुषण विभाग वालों ने परेशान कर रखा है, जिसके वहां बायोमेडिकल वेस्ट नहीं उसे भी लायसेंस लेना पड़ रहा है।