चश्मा नहीं पहना, हमलावर को नहीं पहचान सकीं
(घायल राजश्री का बयान)
जांच अधिकारी ओएस भदौरिया नेे अस्पताल में भर्ती घायल राजश्री के बयान लिए। राजश्री ने बताया, वे उक्त पते पर १९९९ से रहती हैं। पिता मानसिंह अखेपुर में खेती का कार्य करते हैं। वे हॉस्पिटल में अकाउंट देखती हैं। उन्हें मिलाकर परिवार में पांच भाई-बहन हैं। उनके चाचा का मीनेश व एनर्जी हॉस्पिटल है। घटना वाले दिन वह दादी के साथ घर के आगे वाले कमरे में सो रही थीं, तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया। मुझे लगा, चाचा आए है।
जैसे ही दरवाजा खोला, मुंह पर काला मास्क पहने करीब ५ फीट ७ इंच हाइट का एक लडक़ा कमरे में तेजी से घुसा दातेदार चाकू से वार कर दिया। मैंने बदमाश को धक्का देते हुए उससे पूछा, तू कौन है। इस पर उसने फिर से वार किया। बचाव में उनकी दोनों हाथों के अंगूठे के पास वाली उंगली पर चोट आई है। फिर हमलावर ने उन्हें धक्का देकर पलंग पर पेट के बल पटक दिया और पीठ पर बैठ गया। उसने एक हाथ से मेरी नाक और मुंह बंद कर दिया और दूसरे हाथ से चाकू से गर्दन पर कई वार किए। मैंने उसे धकेलने की बहुत कोशिश की, वह नहीं हटा। फिर मैने पास में सो रही दादी को लात मारकर जगाया। दादी ने जब बदमाश का विरोध किया, तो वह भाग गया।
मुझे ऐसा लगा कि दरवाजे के बाहर एक बदमाश और खड़ा था। घायल हालत में उठकर मैंने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। फिर अपने घाव पर हाथ रखा और डायनिंग हॉल स्थित फोन तक पहुंची और मीनेश हॉस्पिटल के काउंटर पर बैठे जय को फोन पर घटना बताई। जय ने ऊपर आकर लातें मारी तो, कुंदी खोली। इससे उनकी चाची भी जाग गईं। वे मुझे उपचार के लिए एनर्जी हॉस्पिटल ले गए। राजश्री ने कहा, वे चश्मा नहीं पहने थीं, इसलिए हमलावर को पहचान नहीं सकीं।
(घायल राजश्री का बयान)
जांच अधिकारी ओएस भदौरिया नेे अस्पताल में भर्ती घायल राजश्री के बयान लिए। राजश्री ने बताया, वे उक्त पते पर १९९९ से रहती हैं। पिता मानसिंह अखेपुर में खेती का कार्य करते हैं। वे हॉस्पिटल में अकाउंट देखती हैं। उन्हें मिलाकर परिवार में पांच भाई-बहन हैं। उनके चाचा का मीनेश व एनर्जी हॉस्पिटल है। घटना वाले दिन वह दादी के साथ घर के आगे वाले कमरे में सो रही थीं, तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया। मुझे लगा, चाचा आए है।
जैसे ही दरवाजा खोला, मुंह पर काला मास्क पहने करीब ५ फीट ७ इंच हाइट का एक लडक़ा कमरे में तेजी से घुसा दातेदार चाकू से वार कर दिया। मैंने बदमाश को धक्का देते हुए उससे पूछा, तू कौन है। इस पर उसने फिर से वार किया। बचाव में उनकी दोनों हाथों के अंगूठे के पास वाली उंगली पर चोट आई है। फिर हमलावर ने उन्हें धक्का देकर पलंग पर पेट के बल पटक दिया और पीठ पर बैठ गया। उसने एक हाथ से मेरी नाक और मुंह बंद कर दिया और दूसरे हाथ से चाकू से गर्दन पर कई वार किए। मैंने उसे धकेलने की बहुत कोशिश की, वह नहीं हटा। फिर मैने पास में सो रही दादी को लात मारकर जगाया। दादी ने जब बदमाश का विरोध किया, तो वह भाग गया।
मुझे ऐसा लगा कि दरवाजे के बाहर एक बदमाश और खड़ा था। घायल हालत में उठकर मैंने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। फिर अपने घाव पर हाथ रखा और डायनिंग हॉल स्थित फोन तक पहुंची और मीनेश हॉस्पिटल के काउंटर पर बैठे जय को फोन पर घटना बताई। जय ने ऊपर आकर लातें मारी तो, कुंदी खोली। इससे उनकी चाची भी जाग गईं। वे मुझे उपचार के लिए एनर्जी हॉस्पिटल ले गए। राजश्री ने कहा, वे चश्मा नहीं पहने थीं, इसलिए हमलावर को पहचान नहीं सकीं।