गिरीश कर्नाड के क्लासिक नाटक हयवदन का मंचन शनिवार शाम अभिनव कला समाज के हॉल में किया गया। एक छोटे हॉल में छोटे मंच पर इस बड़े फलक वाले नाटक को खेल पाना अपने आप में बड़ी चुनौती थी, जिसमें प्रयास थ्री डी की टीम कामयाब रही। छोटे मंच पर भी सुंदर सज्जा, लाइटिंग और संगीत का कल्पनाशील इस्तेमाल नाटक की खासियत रही।
ये है कहानी
हयवदन की कहानी पूर्णता की तलाश में एक स्त्री और दो पुरुषों की कथा है। पद्मिनी का विवाह बुद्धिजीवी देवदत्त से होता है, लेकिन पद्मिनी देवदत्त के मित्र कपिल के प्रति भी आकर्षित है, जिसके पास बलिष्ठ शरीर है। प्रेम त्रिकोण उलझता जाता है और एक दिन दोनों मित्र जंगल में काली मंदिर के पास तलवार से अपने-अपने सिर काट देते हैं। पदमिनी दोनों को मृत पाकर रोती है पर उसी समय देवी उसे ये वरदान देती है कि वह दोनों के सिर उनके धड़ पर रख दे तो वे जी उठेंगे। यहां पदमिनी देवदत्त का सिर कपिल के शरीर में और कपिल का सिर देवदत्त के शरीर में लगा देती है।
ये है कहानी
हयवदन की कहानी पूर्णता की तलाश में एक स्त्री और दो पुरुषों की कथा है। पद्मिनी का विवाह बुद्धिजीवी देवदत्त से होता है, लेकिन पद्मिनी देवदत्त के मित्र कपिल के प्रति भी आकर्षित है, जिसके पास बलिष्ठ शरीर है। प्रेम त्रिकोण उलझता जाता है और एक दिन दोनों मित्र जंगल में काली मंदिर के पास तलवार से अपने-अपने सिर काट देते हैं। पदमिनी दोनों को मृत पाकर रोती है पर उसी समय देवी उसे ये वरदान देती है कि वह दोनों के सिर उनके धड़ पर रख दे तो वे जी उठेंगे। यहां पदमिनी देवदत्त का सिर कपिल के शरीर में और कपिल का सिर देवदत्त के शरीर में लगा देती है।
दोनों पदमिनी के लिए लड़ते हैं पर उसी समय बुजुर्ग भगवता आकर तय करता है कि देवदत्त के सिर वाला ही उसका पति है। दोनों साथ रहते हैं पर पद्मिनी की इच्छाएं खत्म नहीं होतीं और अंत में दोनों पुरुष फिर से मारे जाते हैं। पदमिनी के रूप में सुप्रिया को करीब दो घंटे के नाटक में अधिकांश समय मंच पर ही रहना था और उसका किरदार भी कठिन था, जिसे उन्होंने अच्छी तरह निभाया। कपिल के रूप में अश्विन और देवदत्त की भूमिका में प्रतीक भी जमे पर दोनों को संवाद अदायगी में ज्यादा मेहनत करना होगी। निर्देशक राघव ने नाटक को रोचक बनाए रखा और कम संसाधनों में भी नाटक को भव्यता दे दी।