विज्ञान और टेक्नोलॉजी से जोडऩे साथ ही डिजिटलाइजेशन में विद्यार्थियों की रुचि बढ़ाने के उद्देश्य से एम विन एकेडमी ने ६ दिनी वर्कशॉप रखी थी जिसमें 7वीं से 12वीं के विद्यार्थियों ने कृषि, स्वच्छ भारत व घरेलु उपकरणों जैसे प्रोजे?ट बनाकर पेश किया गया। जिसमें सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र ड्रोन था। उसका उपयोग खेती में दवा छिड़कने के काम में लिया जा सकता है। 30 किलो वजन उठाकर एक जगह खड़े रहने के साथ में घूम सकता है। जब इसे प्रदर्शन किया गया तो मौजूद लोग चकित थे।
स्कूल संचालक चंद्रप्रभासिंह राठौर के मुताबिक का कहना है कि विद्यार्थी अब २०० किलो वजन उठाने वाला ड्रोन बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके अलावा 7वीं कक्षा के विद्यार्थियों शेडो टीम ने फार्मर्स की मदद के लिए मॉडल्स बनाए जिससे खेती करने सहायता प्राप्त हो सकती है। एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर बनाई गई विद्यार्थियों की टीम ने क्लीनिंग मशीन बनाई। वीआर टीम ने इंडियन आर्मी और जंग में उपयोग होने वाले रॉकेट लॉन्चर बनाया। उसे हाइड्रो इलेक्ट्रो पॉवर का उपयोग कर चलाया जा सकता है जिससे इन्वायरमेंट को नुकसान होने से बचाया जा सकता है।
विद्यार्थियों ने वॉइस कंट्रोल होम लाइट, माइक्रो स्कोप, इसीजी हार्ट मॉनिटर मशीन, थ्री डी प्रिंटर और इवीएम वोटिंग मशीन भी बनाई। संचालक लोकेन्द्र सिंह राठौर के मुताबिक इंजीनियरिंग में पढ़ाए जाने वाले विषय थ्री डी प्रिंटिंग, ड्रोन टेक्नोलॉजी, मैकेनिकल इलेक्ट्रिक सेंसर के उपयोग से किस तरह चीजें या मशीनरी बनाई जा सकती हैं। इन विषयों पर ६ दिनी वर्कशॉप रखी गई थी जिसमें बच्चों ने क्या चमत्कार किए ये माता-पिता को दिखाने के लिए प्रदर्शनी लगाई गई थी। इसमें इंदौर इनोवेशन एंड इंस्टा प्रिंटस्ज ने भी सहयोग किया।
सरकार का फोकस
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान व तकनीक से बच्चों को जोडऩे के उद्देश्य से स्कूलों को सरकार से सहायता देने की एटीएल योजना शुरू की है। सरकार २० लाख रुपए दे रही है जिसमें १० लाख लेब तैयार करने में तो दो-दो लाख पांच साल तक उसके संचालन के लिए दिए जा रहे हैं। इंदौर में करीब ८ स्कूल को मान्यता दी गई है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान व तकनीक से बच्चों को जोडऩे के उद्देश्य से स्कूलों को सरकार से सहायता देने की एटीएल योजना शुरू की है। सरकार २० लाख रुपए दे रही है जिसमें १० लाख लेब तैयार करने में तो दो-दो लाख पांच साल तक उसके संचालन के लिए दिए जा रहे हैं। इंदौर में करीब ८ स्कूल को मान्यता दी गई है।