31 मार्च तक निगम खजाने में 400 करोड़ रुपए वसूली का लक्ष्य रखा गया है। संपत्तिकर, जलकर, कॉलोनी सेल, बिल्डिंग परमिशन, जन्म-मृत्यु, विवाह पंजीयन और कचरा परिवहन शुल्क सहित अन्य आय को मिलाकर यह लक्ष्य पूरा करना है। इसके लिए सबसे ज्यादा फोकस लोगों पर बकाया संपत्तिकर और जलकर वसूली पर किया जा रहा है, क्योंकि टैक्स बकायादारों पर एक बड़ी-भारी राशि बकाया है। आम लोगों के साथ-साथ सरकारी विभागों पर भी तकरीबन 200 करोड़ रुपए बकाया है। यह राशि वसूलने में निगम राजस्व विभाग हमेशा से नाकाम ही रहा है। इस बार सरकारी विभागों से वसूली की कमान आयुक्त आशीष सिंह ने अपने हाथ में ली है। उन्होंने किस सरकारी विभाग पर कितना संपत्तिकर बकाया है इसकी पूरी सूची बनवाई है। अब हर सरकारी विभाग को बकाया टैक्स जमा कराने के लिए नोटिस जारी किए जा रहे हैं। इसके लिए जिम्मेदारी राजस्व विभाग के उपायुक्त अरुण शर्मा को दी गई है जो कि नोटिस तैयार करवाकर विभागों में पहुंचा रहे हैं।
दरअसल, सरकारी विभागों से बकाया संपत्तिकर वसूलने के लिए जो नोटिस जारी हो रहे हैं उनमें निगम ने विशेष रूप से लिखा है कि अपने विभागीय बजट में निगम को देय कर की राशि का प्रावधन सुनिश्चित करें। वर्ष 2019-20 के बजट में ही यह प्रावधान करने का कहा गया है, क्योंकि हर बार सरकारी विभागों से टैक्स वसूली करने जाने वाले निगम अफसरों को एक जवाब देकर लौटा दिया जाता कि बजट नहीं है। इसलिए निगम ने एक कदम आगे रखते हुए सभी सरकारी विभागों को संपत्तिकर वसूली का नोटिस देने के साथ बजट में देय कर की राशि का प्रावधान करने का कहा है। इससे बजट न होने का बहाना खत्म हो जाएगा और निगम को बकाया संपत्तिकर मिल जाएगा। इससे निगम की माली हालत भी सुधरेगी। निगम २५ से ज्यादा सरकारी विभागों को नोटिस जारी कर रहा है।