टेक्नोलॉजी से जुडक़र युवा महसूस करता हूं
74 बरस के कवि रवीन्द्र नारायण पहलवान का कविता संग्रह अभिव्यक्ति ई-बुक के रूप में रिलीज हुआ है। वे कहते हैं, कुछ बरस पहले तक मैं एंड्रायड फोन भी नहीं चलाता था, लेकिन अब न सिर्फ फोन बल्कि कंप्यूटर भी चला लेता हूं। टेक्नोलॉजी से जुडक़र खुद को युवा महसूस करता हूं। अब लगता है सचमुच हम जमाने से पीछे जा रहे थे। ई-बुक के लिए मैंने खुद ही प्रयास किए। वाकई यह बहुत अच्छा माध्यम है। दूर बैठा कोई भी पाठक मेरी किताब पढ़ सकता है।
एक नया अनुभव है
अंजुल कंसल का बाल गीतों का संग्रह भी ई-बुक के रूप में आया है। एक अन्य पुस्तक भी आने वाली है। वे कहती हैं कि इस तरीके से हम युवा पाठकों तक पहुंच सकते हैं जो किताबों से दूर हो रहे हैं, लेकिन मोबाइल पर देर तक समय बिताते हैं।
किंडल ने किया सिलेक्ट
शहर की जानी- मानी साहित्यकार डॉ. किसलय पंचोली ने पिछले दिनों किंडल द्वारा आयोजित एक प्रतियोगिता में भाग लिया और उनकी पांच कहानियां देश भर से आई प्रविष्टियों में सिलेक्ट हुई हैं। ये पांचों कहानियां अब किंडल द्वारा ई-बुक के रूप में रिलीज की जाएंगी। किंडल ने बुक रीडिंग ऐप बनाया है। किसलय कहती हैं कि मैंने बच्चों के कहने पर इस ऑनलाइन कंटेस्ट में भाग लिया था, लेकिन अब महसूस होता है कि नई पीढ़ी इसी माध्यम पर ज्यादा ध्यान देती है, इसलिए अपनी रचनाएं उन तक पहुंचाना है तो इस फॉर्मेट में काम करना ही होगा।
आई कैचिंग हो किताब की डिजाइन
शहर में लिबरेट लाइफ संस्था ने हाल ही में चार लेखकों की ई-बुक्स का विमोचन समारोह आयोजित किया था। संचालक अभिषेक स्वामी ने बताया, उन्होंने खुद ही इन बुक्स को डिजाइन किया है। स्वामी का कहना है कि ई-बुक्स की डिजाइन आईकैंचिंग होगी तभी यूजर उस पर रुकेगा। साथ ही फोन्ट सुंदर भी हों और पढऩे में आसान हों। स्वामी अगले कुछ दिनों में करीब एक दर्जन और ई-बुक्स जारी करने वाले हैं। वे इन ई-बुक्स को अपनी वेबसाइट और फेसबुक पर रिलीज करते हैं। साथ ही वाट्सऐप ग्रुप्स पर भी लिंक शेयर करते हैं। किताबों की ऑनलाइन समीक्षा भी करवाते हैं। लिंक लेखक के पास भी होती है आौर वह भी अपने ग्रुप्स पर उसे शेयर करते हैं। कुछ ई-कॉमर्स कंपनियों से भी बात कर रहे हैं और जल्द ही वहां भी यह बुक्स पढ़ी जा सकेंगी।