दरअसल, दवाइयां, सर्जिकल उपकरण व दवा निर्माण के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल (एपीआइ) को ई-वे बिल से मुक्त श्रेणी में रखा गया है। कई तरह के कच्चे माल का इस्तेमाल फूड या अन्य इंडस्ट्री में भी किया जाता है। बेसिक ड्रग डीलर्स एसोसिएशन के महासचिव जेपी मूलचंदानी का कहना है कि एचएसएन कोड के 30 सीरिज वाली वस्तुएं इस श्रेणी में शामिल की गई हैं। यह कोड सीरिज दवाओं की है।
एपीआ यानी दवाओं के कच्चे माल क व्यापार करने वाले कारोबारियों विभाग से शिकायत की थी कि एपीआइ का जिक्र मुक्त श्रेणी में नहीं है। विभाग को सरकार के के राजस्व की चिंता है, हम भी उससे सहमत हैं। मूलचंदानी ने कहा, दवा निर्माण के कच्चे माल में ड्रग लायसेंस जरूरी है। ई-वे बिल क छूट के साथ बिल पर ड्रग लायसेंस और संबंधित माल पर आइपी य बीपी का चिह्न निरीक्षण करें और अनिवार्य कर दें तो कर चोरी की आशंका नहीं रहेगी।
राज्य कर के अधिकारियों के अनुसार कई पावडर या रसायन ऐसे हैं, जो दवाओं के निर्माण में तो काम आते ही हैं, अन्य उद्योग भी उसका उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए साइट्रिक एसिड, ग्लूकोज आदि। ऐसे में यदि इन वस्तुओं के एचएसएन कोड को मुक्त श्रेणी में दिखा दिया जाएगा तो उसका लाभ कर चोरी की मंशा रखने वाले व्यापारी भी उठा लेंगे, जो दवा निर्माण के बजाय अन्य उपयोग के लिए कच्चे माल की आपूर्ति कर रहे हैं। यहीं कारण है कि विभाग पहले ऐसे सभी पहलुओं पर चर्चा करेगा, फिर इस मामले पर निर्णय लेगा।