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फॉर्म-49 से आसान होगा ई-वे बिल उपयोग

locationइंदौरPublished: Dec 08, 2017 10:00:38 am

फॉर्म-४९ अंतरराज्यीय व्यापार तो ई-वे बिल सभी खरीदी पर

e way bill

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इंदौर. जीएसटी के बाद अब जल्द ई-वे बिल व्यवस्था लागू की जा रही है। इससे बिना जीएसटी चुकाए या पर्ची से खरीदे गए माल के ट्रांसपोर्टेशन पर लगाम लगेगी। अंतरराज्यीय व्यापार के लिए भी यह बिल अनिवार्य होगा। जिस राज्य में ई-वे बिल व्यवस्था लागू नहीं है और प्रदेश का कारोबारी वहां से माल खरीदता है तो उसे यह बिल देकर माल बुलवाना होगा।
बुधवार को टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन ने ई-वे बिल फॉर्म की जानकारी पर सेमिनार आयोजित किया। प्रीतमलाल दुआ सभागृह में हुए सेमिनार में अतिथि राज्य कर आयुक्त राघवेंद्रकुमार सिंह व संयुक्त आयुक्त सुदीप गुप्ता थे। बिल की जानकारी संयुक्त आयुक्त धर्मपाल शर्मा व कर सलाहकार आरएस गोयल ने दी।
– व्यवस्था बहुत सरल व यूजर फ्रेंडली है। ई-वे बिल जनरेट करने की सुविधा एनआईसी के पोर्टल पर दी गई है। पोर्टल, एसएमएस, मोबाइल एप व सुविधा प्रोवाइडर के माध्यम से ई-वे बिल जनरेट किया जा सकता है।
– जिस तरह वैट में फॉर्म-४९ होता था, उसी तरह ई-वे बिल का उपयोग किया जाएगा। यदि माल मध्यप्रदेश के बाहर से लाया जा रहा है तो प्रदेश के व्यवसायी को ई-वे बिल जनरेट कर देना होगा। व्यवसाय स्थल से ट्रांसपोर्टर से व्यवसाय स्थल की दूरी 10 किलोमीटर से कम है तो व्यवसायी को ई-वे बिल के पार्ट-ए में बिल नंबर, बिल दिनांक, माल का मूल्य, एचएसएन कोड इत्यादि भरकर देना होगा। पार्ट-बी में वाहन की जानकारी अनिवार्य नहीं होगा। यह दूरी 10 किलोमीटर से अधिक है तो पार्ट-ए एवं पार्ट-बी दोनों भरना होंगे।
लगेगी पेनल्टी
ट्रांसपोर्टर द्वारा कर अपवंचन में साथ दिया गया तो उस पर पेनल्टी लगेगी। जीएसटी लागू होने पर १०० प्रतिशत पेनल्टी, करमुक्त वस्तु पर उसकी कीमत का २ प्रतिशत या अधिकतम २५ हजार रुपए पेनल्टी देना होगी।
1 दिन अवधि
ई-वे बिल की वैधता 100 किलोमीटर के लिए 1 दिन (24 घंटे) तथा 100 किलोमीटर से अधिक होने पर प्रत्येक 100 किलोमीटर के लिए 1 अतिरिक्त दिन के लिए होगी। जानकारी को 72 घंटे में स्वीकार या अस्वीकार नहीं किया जाता है तो माना जाएगा कि उनके द्वारा यह जानकारी स्वीकार कर ली गई है।

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