एडीएम पवन जैन, एसडीएम प्रतुल सिन्हा व अन्य अफसरों ने पीड़ितों की बातें सुनी और तत्काल परिजनों को फोन लगाए मल्हारगंज क्षेत्र निवासी लीलाबाई अपने बेटों से परेशान दिखीं। बुजुर्ग ने एडीएम को बताया बेटे दिलीप, लीलाधर ने मुझे वृंदावन भेज दिया और घर की रजिस्ट्री गिरवी रख दी। मैं अपने मकान में अलग रहती हूं, लेकिन अब वे परेशान करते हैं। एडीएम ने तत्काल बेटे दिलीप को फोन लगाया और मां की देखभाल करने की समझाइश दी। बेटे ने बहस की तो एडीएम ने एसडीएम को भरण-पोषण अधिनियम के तहत कार्रवाई के लिए कहा। इधर, छीपा बाखल से आई बुजुर्ग अनिसा बी अपने बेटी होने का अधिकार मांग रही थीं। उन्होंने बताया, मेरे भाई मकान बना रहे हैं, मुझे बाहर कर दिया। मकान मेरे माता-पिता का है। उस पर मेरा भी अधिकार है।
एडीएम ने एसडीएम को भाइयों को बुलाकर समझाने के लिए कहा। छत्रीबाग से आईं सुधा बाथम की कहानी कुछ अलग है। उनके पति की कोरोना से मृत्यु हो गई। उन्हें बच्चों के भरण-पोषण की चिंता सता रही है। वह कोविड अनुग्रह राशि का आग्रह लेकरआई थीं। तुकोगंज से आईं प्रतिमा अग्रवाल व उनकी बेटी ने ब्लूमबर्ग के प्रफुल्ल सखलेचा व अटलांटा के चिराग शाह की शिकायत करते हुए प्लॉट के जमा पैसे वापस दिलाने की मांग की। बेटी ने कहा, पिता नहीं रहे। हमारे पास 10 अलग-अलग डायरियां हैं, जिनमें प्लॉट के लिए दिए रुपए का हिसाब है। यह रकम मिल जाए तो हमारी पढ़ाई-लिखाई हो जाएगी।
बगीचा व क्लीनिक के खिलाफ उठी आवाज
अंबिकापुरी, एरोड्रम रोड की महिलाएं थाने के समीप जनशक्ति नगर में अवैध कॉलोनाइजेशन की शिकायत लेकर आई थीं। उनका कहना था, संस्था ने बारूद घर की जमीन पर प्लॉट काट दिए। जबकि, यह सरकारी जमीन है। यहां पर बगीचा बनाया जाए। शिवमपुरी भोलाराम उस्ताद मार्ग के रहवासी व रवींद्र कौर की शिकायत वहां के डॉक्टर अनिल घई के खिलाफ थी। बताया गया, घई पकिस्तानी डिग्री धारी हैं। वे अवैध क्लीनिक चला रहे हैं। शिकायत करने पर कार्रवाई तो हुई, लेकिन उसने फिर हॉस्पिटल खोल लिया। एडीएम ने एसडीएम अंशुल खरे को मामला सौंपा है। एडीएम पवन जैन ने बताया, इस तरह की 200 से ज्यादा शिकायतें जनसुनवाई में आईं। कुछ का मौके पर निराकरण किया गया। कुछ को जांच कर राहत दिलाएंगे।