script45 साल पहले बिहार से लाए ‘मोती’ कोई लेने को तैयार नहीं | Elephant Moti pearls were brought from Bihar 45 years ago | Patrika News

45 साल पहले बिहार से लाए ‘मोती’ कोई लेने को तैयार नहीं

locationइंदौरPublished: Jan 09, 2020 01:43:57 am

Submitted by:

shatrughan gupta

45 साल पहले बिहार के चंपारण से चिडिय़ाघर के लिए खरीदकर लाए हाथी मोती ने 20 दिनों में चिडिय़ाघर को हलाकान कर दिया है।

45 साल पहले बिहार से लाए 'मोती' कोई लेने को तैयार नहीं

45 साल पहले बिहार से लाए ‘मोती’ कोई लेने को तैयार नहीं

इंदौर. चिडिय़ाघर में सबको परेशान करने वाले हाथी मोती को कोई भी अन्य शहर लेने को तैयार नहीं है। यहां तक की वन विभाग भी इसे ले जाने से इंकार कर चुका है। गुस्सैल मोती को चिडिय़ाघर में रखना नगर निगम के लिए मजबूरी बन चुका है। 45 साल पहले बिहार के चंपारण से चिडिय़ाघर के लिए खरीदकर लाए हाथी मोती ने 20 दिनों में चिडिय़ाघर को हलाकान कर दिया है। पहली बार हथिनी लक्ष्मी पर हमला और दूसरी बार मंगलवार को चिडिय़ाघर की दीवार को तोड़ दिया। ऐसा नहीं है कि इस हाथी को जू से अन्यत्र भेजने की कोशिश नहीं की गई, लेकिन इसके व्यवहार के कारण कोई भी इसे लेने को तैयार नहीं हो रहा है। इंदौर चिडिय़ाघर स्माल कैटेगरी जू होने के चलते यहां कम जगह है। ऐसे में कुछ एनजीओ ने बड़े जानवरों को यहां से हटवाने की कोशिश की थी। इस दौरान हाथी मोती को भी इंदौर से शिफ्ट कराने की कोशिशें की गईं। केंद्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण (सीजेडए) के कहने पर इसे अन्यत्र भेजने के लिए चिडिय़ाघर ने वन विभाग से भी निवेदन किया था, जिसने कान्हा किसली राष्ट्रीय अभ्यारण में शिफ्ट करने की तैयारी भी की थी। उस समय कान्हा से दो बार एक्सपर्ट आए, लेकिन मोती को वहां के लिए उपयुक्त नहीं माना। इसके बाद सीजेडए ने भी अपने एलिफेंट एक्सपर्ट केके शर्मा को चिडिय़ाघर भेजा, जिन्होंने जांच करने के बाद मोती को चौथे दर्ज की उग्रता से ग्रसित बतातो हुए इसकी शिफ्टिंग और खुले में भी छोडऩे योग्य जानवर नहीं माना था। इस रिपोर्ट के बाद सीजेडए ने भी इसे कहीं भी शिफ्ट करने से इंकार कर दिया था।
अभ्यारण में हो सकता है खतरनाक
अभ्यारण में चूं्क पर्यटक आते हैं और गुस्से में मोती उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है। जंगली जानवरों व जंगल और उसके आसपास रहने वालों के लिए भी ये खतरनाक हो सकता है। इसलिए इसे चिडिय़ाघर में ही रखने का फैसला किया गया था। चिडिय़ाघर प्रभारी डॉ. उत्तम यादव ने बताया, पांच साल पहले सीजेडए के एक्सपर्ट मोती की जांच कर चुके हैं। सीजेडए के निर्देश पर ही मोती को यहां रखा है।
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