अभ्यारण में चूं्क पर्यटक आते हैं और गुस्से में मोती उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है। जंगली जानवरों व जंगल और उसके आसपास रहने वालों के लिए भी ये खतरनाक हो सकता है। इसलिए इसे चिडिय़ाघर में ही रखने का फैसला किया गया था। चिडिय़ाघर प्रभारी डॉ. उत्तम यादव ने बताया, पांच साल पहले सीजेडए के एक्सपर्ट मोती की जांच कर चुके हैं। सीजेडए के निर्देश पर ही मोती को यहां रखा है।