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डीएवीवी की कारस्तानियों का फिर फूटा भांडा,कुलपति ने झाड़ा पल्ला

locationइंदौरPublished: Jan 16, 2018 09:40:19 am

ओएसडी ने छिपाई कोरी कॉपियां, फेल छात्रों को फायदा पहुंचाने की शंका

kulpati narendra dhakad
इंदौर. परीक्षा की कॉपियों के मूल्यांकन में गड़बड़ी के आरोपों से चौतरफा घिरी देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी ने लापरवाह मूल्यांकनकर्ताओं पर कार्रवाई करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। कुलपति प्रो.नरेंद्र धाकड़ का कहना है कि अगर गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई की गई तो कॉपी जांचने वाले ही नहीं मिलेंगे।
इससे मूल्यांकन व्यवस्था ठप पड़ जाएगी। कुलपति सोमवार से देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (एआईयू) की उच्च शिक्षा में परीक्षा प्रणाली में सुधार विषय पर आयोजित तीन दिवसीय वर्कशॉप के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने ऑनलाइन परीक्षा को भी गैर जरूरी बताते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चे अभी कम्प्यूटर फे्रंडली नहीं है। यूनिवर्सिटी ने पिछले सत्र में दो परीक्षाएं ऑनलाइन प्रणाली से कराई, जिसमें छात्रों को भारी परेशानी उठाना पड़ी थी।
कुलपति डॉ.धाकड़ ने बताया, यूजीसी को यूनिवर्सिटी पर बढ़ रहे बोझ को ध्यान में रखना चाहिए। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में ही ७०० परीक्षा कराई जाती हैं, जिसमें २ लाख ३० हजार बच्चे शामिल होते हैं। वर्कशॉप में कई यूनिवर्सिटी व कॉलेजों के परीक्षा विभाग से जुड़े अफसर व फैकल्टी हिस्सा ले रहे हैं। एआईयू के उपनिदेशक व रिसर्च इंचार्ज डॉ.अमरेंद्र पाणी, डीएवीवी के पूर्व कुलपति डॉ.भरत छपरवाल व वैष्णव विद्यापीठ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो.उपेंद्र धर ने भी परीक्षा प्रणाली में सुधार पर विचार रखे। डॉ.पाणी ने नई तकनीक को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए कहा कि कई यूनिवर्सिटी इस तरह से रुढ़ीवादी हो चुकी है कि वहां नया सिस्टम लागू होने से पहले ही अवरोध उत्पन्न हो जाता है। पहले चरण में सीबीसीएस व क्रेडिट ट्रांसफर पर चर्चा हुई।
सेमेस्टर सिस्टम खत्म करना गलत
डॉ. छपरवाल ने प्रदेश की यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेजों में पढ़ाए जा रहे परंपरागत कोर्सेस में सेमेस्टर सिस्टम हटाकर दोबारा से वार्षिक प्रणाली लागू करने को गलत करार दिया। उन्होंने कहा, मौजूदा दौर की शिक्षा व्यवस्था में सेमेस्टर सिस्टम से अच्छी पढ़ाई कराई जा सकती है। ये समय सेमेस्टर बंद करने के बजाय सीबीसीएस लागू करने का है।
कॉलेजों के अधिकार बढऩे से होगी आसानी
प्रो. धर ने यूनिवर्सिटीज पर बढ़ रहे बोझ को कम करने के लिए कॉलेजों की ऑटोनॉमी बढ़ाने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया, अभी ८६४ विवि और ४० हजार से ज्यादा कॉलेज हैं। प्राइवेट विवि को संबद्धता देने का अधिकार नहीं है, इसलिए कॉलेजों पर भरोसा करते हुए उन्हें अपना सिलेबस बनाने और परीक्षा कराने के लिए तैयार करना होगा।
देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी का मूल्यांकन केंद्र में एक बार फिर बड़ी गड़बड़ी उजागर हुई। कॉपियों को मूल्यांकन के लिए भेजने वाले ओएसडी के पास कई कोरी कॉपियां मिली हंै। यूनिवर्सिटी को शंका है कि ये कॉपियां फेल होने वाले छात्रों को फायदा पहुंचाने के लिए छिपाई गईं थीं। मामले में पैसे लेकर पास कराने वाले गिरोह के सक्रिय होने की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
मूल्यांकन केंद्र पर नियुक्त ओएसडी राघव जायसवाल के रजिस्टर से पिछले सप्ताह परीक्षा की कोरी कॉपियां मिलीं। मूल्यांकन केंद्र के अधिकारी भी हैरान हैं कि आखिर कोरी कॉपियां मूल्यांकन केंद्र तक कैसे आईं? हालांकि, मूल्यांकन केंद्र के जिम्मेदार इस मामले को दबाने में जुट गए हैं। मालूम हो, रिव्यू प्रक्रिया में बड़ी संख्या में छात्रों के नंबर बढ़ते आ रहे हैं। सबसे ज्यादा बदलाव मेडिकल परीक्षा के नतीजों में देखे जा सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार प्रारंभिक जांच में पता चला कि यह कॉपियां मूल कॉपी के साथ पूरक कॉपी के तौर पर जोडऩे के लिए रखी थीं। फेल होने वालों को ढूंढक़र ऐसी ही कोरी कॉपियों में अलग से जवाब लिखवाए जाते हैं। बताया जा रहा है कि जिस ओएसडी के पास से कोरी कॉपियां मिली हैं, उनकी नियुक्ति भी नियम विरुद्ध है। नियमानुसार कॉलेज में कोड-२८ के तहत नियुक्त फैकल्टी या रिटायर फैकल्टी को ही ओएसडी बनाया जा सकता है।
राघव कॉलेज में स्पोट्र्स ऑफिसर की पोस्ट पर हैं। मूल्यांकन केंद्र में कॉपी देखने आने वाले छात्रों तक को अपने साथ पेन, पेपर, मोबाइल आदि ले जाने की अनुमति नहीं है। आपत्ति दर्ज कराने के लिए उन्हें पेन भी केंद्र से ही मिलता है। ओएसडी के पास से मिली कॉपियों पर बड़वाह गवर्नमेंट कॉलेज की सील भी लगी है। परीक्षा के बाद बची एक-एक कॉपी का रिकॉर्ड परीक्षा केंद्र से यूनिवर्सिटी के पास आता है। यूनिवर्सिटी ने कॉलेज को भी नोटिस जारी कर पूछा है कि कॉलेज से कॉपी बाहर कैसे आई?
परीक्षा नियंत्रक को नहीं जानकारी!
कोरी कॉपियां मिलने की चर्चा मूल्यांकन केंद्र से कुलपति के पास तक पहुंच गई, पर परीक्षा नियंत्रक प्रो. अशेष तिवारी अब भी इस मामले से अनभिज्ञ हैं। सवाल पर उन्होंने हैरानी जताई और मूल्यांकन प्रभारी डॉ. राजेंद्र सिंह से फोन पर चर्चा की। सिंह ने भी उन्हें कोरी कॉपी बरामद किए जाने की घटना से इनकार किया। सवाल है, परीक्षा विभाग के आला अफसर तक इतनी महत्वपूर्ण जानकारी कैसे नहीं पहुंची, जबकि कुलपति इस मामले में जांच के आदेश भी दे चुके हैं।
कार्रवाई करेंगे
“हमने कॉलेज को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। गंभीरता से जांच कराई जा रही है। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।”
प्रो. नरेंद्र धाकड़, कुलपति, डीएवीवी
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