सेमेस्टर सिस्टम खत्म करना गलत
डॉ. छपरवाल ने प्रदेश की यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेजों में पढ़ाए जा रहे परंपरागत कोर्सेस में सेमेस्टर सिस्टम हटाकर दोबारा से वार्षिक प्रणाली लागू करने को गलत करार दिया। उन्होंने कहा, मौजूदा दौर की शिक्षा व्यवस्था में सेमेस्टर सिस्टम से अच्छी पढ़ाई कराई जा सकती है। ये समय सेमेस्टर बंद करने के बजाय सीबीसीएस लागू करने का है।
डॉ. छपरवाल ने प्रदेश की यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेजों में पढ़ाए जा रहे परंपरागत कोर्सेस में सेमेस्टर सिस्टम हटाकर दोबारा से वार्षिक प्रणाली लागू करने को गलत करार दिया। उन्होंने कहा, मौजूदा दौर की शिक्षा व्यवस्था में सेमेस्टर सिस्टम से अच्छी पढ़ाई कराई जा सकती है। ये समय सेमेस्टर बंद करने के बजाय सीबीसीएस लागू करने का है।
कॉलेजों के अधिकार बढऩे से होगी आसानी
प्रो. धर ने यूनिवर्सिटीज पर बढ़ रहे बोझ को कम करने के लिए कॉलेजों की ऑटोनॉमी बढ़ाने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया, अभी ८६४ विवि और ४० हजार से ज्यादा कॉलेज हैं। प्राइवेट विवि को संबद्धता देने का अधिकार नहीं है, इसलिए कॉलेजों पर भरोसा करते हुए उन्हें अपना सिलेबस बनाने और परीक्षा कराने के लिए तैयार करना होगा।
प्रो. धर ने यूनिवर्सिटीज पर बढ़ रहे बोझ को कम करने के लिए कॉलेजों की ऑटोनॉमी बढ़ाने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया, अभी ८६४ विवि और ४० हजार से ज्यादा कॉलेज हैं। प्राइवेट विवि को संबद्धता देने का अधिकार नहीं है, इसलिए कॉलेजों पर भरोसा करते हुए उन्हें अपना सिलेबस बनाने और परीक्षा कराने के लिए तैयार करना होगा।
देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी का मूल्यांकन केंद्र में एक बार फिर बड़ी गड़बड़ी उजागर हुई। कॉपियों को मूल्यांकन के लिए भेजने वाले ओएसडी के पास कई कोरी कॉपियां मिली हंै। यूनिवर्सिटी को शंका है कि ये कॉपियां फेल होने वाले छात्रों को फायदा पहुंचाने के लिए छिपाई गईं थीं। मामले में पैसे लेकर पास कराने वाले गिरोह के सक्रिय होने की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
मूल्यांकन केंद्र पर नियुक्त ओएसडी राघव जायसवाल के रजिस्टर से पिछले सप्ताह परीक्षा की कोरी कॉपियां मिलीं। मूल्यांकन केंद्र के अधिकारी भी हैरान हैं कि आखिर कोरी कॉपियां मूल्यांकन केंद्र तक कैसे आईं? हालांकि, मूल्यांकन केंद्र के जिम्मेदार इस मामले को दबाने में जुट गए हैं। मालूम हो, रिव्यू प्रक्रिया में बड़ी संख्या में छात्रों के नंबर बढ़ते आ रहे हैं। सबसे ज्यादा बदलाव मेडिकल परीक्षा के नतीजों में देखे जा सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार प्रारंभिक जांच में पता चला कि यह कॉपियां मूल कॉपी के साथ पूरक कॉपी के तौर पर जोडऩे के लिए रखी थीं। फेल होने वालों को ढूंढक़र ऐसी ही कोरी कॉपियों में अलग से जवाब लिखवाए जाते हैं। बताया जा रहा है कि जिस ओएसडी के पास से कोरी कॉपियां मिली हैं, उनकी नियुक्ति भी नियम विरुद्ध है। नियमानुसार कॉलेज में कोड-२८ के तहत नियुक्त फैकल्टी या रिटायर फैकल्टी को ही ओएसडी बनाया जा सकता है।
राघव कॉलेज में स्पोट्र्स ऑफिसर की पोस्ट पर हैं। मूल्यांकन केंद्र में कॉपी देखने आने वाले छात्रों तक को अपने साथ पेन, पेपर, मोबाइल आदि ले जाने की अनुमति नहीं है। आपत्ति दर्ज कराने के लिए उन्हें पेन भी केंद्र से ही मिलता है। ओएसडी के पास से मिली कॉपियों पर बड़वाह गवर्नमेंट कॉलेज की सील भी लगी है। परीक्षा के बाद बची एक-एक कॉपी का रिकॉर्ड परीक्षा केंद्र से यूनिवर्सिटी के पास आता है। यूनिवर्सिटी ने कॉलेज को भी नोटिस जारी कर पूछा है कि कॉलेज से कॉपी बाहर कैसे आई?
मूल्यांकन केंद्र पर नियुक्त ओएसडी राघव जायसवाल के रजिस्टर से पिछले सप्ताह परीक्षा की कोरी कॉपियां मिलीं। मूल्यांकन केंद्र के अधिकारी भी हैरान हैं कि आखिर कोरी कॉपियां मूल्यांकन केंद्र तक कैसे आईं? हालांकि, मूल्यांकन केंद्र के जिम्मेदार इस मामले को दबाने में जुट गए हैं। मालूम हो, रिव्यू प्रक्रिया में बड़ी संख्या में छात्रों के नंबर बढ़ते आ रहे हैं। सबसे ज्यादा बदलाव मेडिकल परीक्षा के नतीजों में देखे जा सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार प्रारंभिक जांच में पता चला कि यह कॉपियां मूल कॉपी के साथ पूरक कॉपी के तौर पर जोडऩे के लिए रखी थीं। फेल होने वालों को ढूंढक़र ऐसी ही कोरी कॉपियों में अलग से जवाब लिखवाए जाते हैं। बताया जा रहा है कि जिस ओएसडी के पास से कोरी कॉपियां मिली हैं, उनकी नियुक्ति भी नियम विरुद्ध है। नियमानुसार कॉलेज में कोड-२८ के तहत नियुक्त फैकल्टी या रिटायर फैकल्टी को ही ओएसडी बनाया जा सकता है।
राघव कॉलेज में स्पोट्र्स ऑफिसर की पोस्ट पर हैं। मूल्यांकन केंद्र में कॉपी देखने आने वाले छात्रों तक को अपने साथ पेन, पेपर, मोबाइल आदि ले जाने की अनुमति नहीं है। आपत्ति दर्ज कराने के लिए उन्हें पेन भी केंद्र से ही मिलता है। ओएसडी के पास से मिली कॉपियों पर बड़वाह गवर्नमेंट कॉलेज की सील भी लगी है। परीक्षा के बाद बची एक-एक कॉपी का रिकॉर्ड परीक्षा केंद्र से यूनिवर्सिटी के पास आता है। यूनिवर्सिटी ने कॉलेज को भी नोटिस जारी कर पूछा है कि कॉलेज से कॉपी बाहर कैसे आई?
परीक्षा नियंत्रक को नहीं जानकारी!
कोरी कॉपियां मिलने की चर्चा मूल्यांकन केंद्र से कुलपति के पास तक पहुंच गई, पर परीक्षा नियंत्रक प्रो. अशेष तिवारी अब भी इस मामले से अनभिज्ञ हैं। सवाल पर उन्होंने हैरानी जताई और मूल्यांकन प्रभारी डॉ. राजेंद्र सिंह से फोन पर चर्चा की। सिंह ने भी उन्हें कोरी कॉपी बरामद किए जाने की घटना से इनकार किया। सवाल है, परीक्षा विभाग के आला अफसर तक इतनी महत्वपूर्ण जानकारी कैसे नहीं पहुंची, जबकि कुलपति इस मामले में जांच के आदेश भी दे चुके हैं।
कार्रवाई करेंगे
“हमने कॉलेज को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। गंभीरता से जांच कराई जा रही है। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।”
प्रो. नरेंद्र धाकड़, कुलपति, डीएवीवी
कोरी कॉपियां मिलने की चर्चा मूल्यांकन केंद्र से कुलपति के पास तक पहुंच गई, पर परीक्षा नियंत्रक प्रो. अशेष तिवारी अब भी इस मामले से अनभिज्ञ हैं। सवाल पर उन्होंने हैरानी जताई और मूल्यांकन प्रभारी डॉ. राजेंद्र सिंह से फोन पर चर्चा की। सिंह ने भी उन्हें कोरी कॉपी बरामद किए जाने की घटना से इनकार किया। सवाल है, परीक्षा विभाग के आला अफसर तक इतनी महत्वपूर्ण जानकारी कैसे नहीं पहुंची, जबकि कुलपति इस मामले में जांच के आदेश भी दे चुके हैं।
कार्रवाई करेंगे
“हमने कॉलेज को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। गंभीरता से जांच कराई जा रही है। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।”
प्रो. नरेंद्र धाकड़, कुलपति, डीएवीवी