आम आदमी को राहत देने और कर सिस्टम को ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए आयकर चुकाने की प्रक्रिया को तो पारदर्शी बनाया जा रहा है। टीडीएस व टीसीएस जैसे प्रावधानों को और विस्तार से लागू किया जा रहा है। जिससे खर्च की जाने वाली राशि को व्यक्ति की आय में शामिल किया जा सके। एेसा ही एक बड़ा बदलाव करते हुए विदेश यात्रा को भी टैक्स कलेक्शन एट सोर्स के दायरे में ले लिया गया है। इसके पीछे सरकार की मंशा महंगी विदेश को ट्रेस करना है। इस प्रावधान के लागू होने से सरकार इस बात का पता कर सकेगी, विदेश यात्रा पर इतनी बड़ी राशि खर्च करने वाले व्यक्ति की आय कितनी है? वह आयकर रिटर्न भर रहा है या नहीं? उसकी आय का स्रोत क्या है?
अभी एेसी है व्यवस्था विदेश यात्रा पर अधिकांश लोग इसमें कालेधन का इस्तेमाल करते हैं। सरकार के पास भी इसे ट्रेस करने का कोई उपाय नहीं है। क्योंकि आयकर दाता इसे रिटर्न या आय के हिसाब-किताब में नहीं दर्शाते। इसके अलावा विदेशों में किए जा रहे खर्च या अन्य के संबंध में कोई क्रॉस चेकिंग का सिस्टम भी नहीं है।
यह किया बदलाव बजट में बदलाव करते हुए सरकार ने अब टूर पैकेजेस पर 5 प्रतिशत टीसीएस अनिवार्य कर दिया है। अब ट्रेवल एजेंट द्वारा बेचे जा रहे टूर पैकेजेस पर 5 प्रतिशत टैक्स डिडक्शन एट सोर्स की वसूली की जाएगी। जिसकी क्रेडिट यात्री अपने आयकर रिटर्न के आधार पर ले सकेंगे।
एेसे समझें बदलाव का प्रभाव विदेश यात्रा के पैकेज पर टीसीएस अनिवार्य करके सरकार ने एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की है। पहला तो नागरिकों की विदेश यात्राओं पर निगरानी रहेगी। दूसरा टैक्स लगने और विवरण देने की झंझट से बचने के लिए लोग स्थानीय पर्यटन को महत्व देंगे। यात्री इस टैक्स की क्रेडिट ले सकेंगे, लेकिन इसके लिए उन्हें इस यात्रा का विवरण अपने रिटर्न में बतलाना होगा। वहीं टूर पैकेज प्रारंभिक तौर पर ५ प्रतिशत महंगा हो जाएगा। यानी 1 लाख रुपए के टूर पर 5 हजार रुपए अतिरिक्त भुगतान करना होगा।
इसका लाभ देश को होगा सीए एसोसिएशन के सीए अभय शर्मा का कहना है, इस बदलाव से लोग ट्रेवल एजेंट या टूर पैकेजेस के माध्यम से विदेश यात्रा करने से बचेंगे। स्वयं जाएंगे तो खर्च का ब्यौरा सरकार को मिल जाएगा। जिससे पारदर्शिता आएगी।